नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा में तीसरी बार ब्रेकअप हुआ है. पहली बार 2009 में, फिर दूसरी बार 2013 में और अब तीसरी बार कुशवाहा और नीतीश अलग हुए हैं. 2009 और 2013 से अलगाव के मुद्दे अलग थे और इस बार मुद्दा अलग है. इस बार लड़ाई उत्तराधिकारी की है. यानि नीतीश को जो पसंद हैं, जिस पर उन्हें भरोसा है, वो उपेंद्र कुशवाहा को स्वीकार नहीं है. इसलिए उन्होंने अलग सियासी राह पर चलने का फैसला किया है. उत्तराधिकारी की लड़ाई ने दोनों नेताओं की राहें आखिरकार जुदा कर दी है. जेडीयू का साथ छोड़ उपेंद्र कुशवाहा नई राह पर निकल पड़े हैं और अपनी नई पार्टी बना ली है.
सीएम नीतीश कुमार महागठबंधन में जाने के बाद से कई मौकों पर ये जता चुके हैं कि उन्हें 2025 में तेजस्वी पर भरोसा है. नीतीश ये जता चुके हैं कि तेजस्वी उनके उत्तराधिकारी हो सकते हैं. उत्तराधिकारी को लेकर नीतीश का ये भरोसा उनके सबसे भरोसेमंद में से एक माने जा रहे उपेंद्र कुशवाहा को स्वीकार नहीं है. इसलिए कुशवाहा ने जेडीयू छोड़ दी है. अब दोनों की राहें जुदा हो गई हैं.
इस अलगाव ने फिर साबित कर दिया कि नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा दोनों ही अचानक अपना मन परिवर्तन करते हैं और राजनीतिक रूप से चौंका देते हैं. एक दल बदलते हैं और दूसरे गठबंधन बदलते हैं.
उपेंद्र कुशवाहा के अलग होने के बाद बयानों के रंग भी बदलते दिखे. महागठबंधन में 2025 में उत्तराधिकारी को लेकर नीतीश तेजस्वी पर भरोसा जता चुके हैं, लेकिन उसी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष साफ कह रहे हैं कि सीएम कैंडिडेट की घोषणा तो 2025 में होगी. यानि तेजस्वी को लेकर जेडीयू में कनफ्यूज है या सच में कोई डील हुई है?
जेडीयू में कुशवाहा भविष्य तलाशने आये थे, लेकिन उत्तराधिकारी की इस लड़ाई में राह अलग कर उपेंद्र कुशवाहा ने एक नई लड़ाई का बिगुल फूंक दिया है.