Tejashwi Yadav: एक तरफ जहां बिहार में उपचुनाव का शोर सुनाई दे रहा है तो वहीं दूसरी ओर जेडीयू ने आरजेडी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को घेरना शुरू कर दिया है. दरअसल, जेडीयू ने तेजस्वी यादव पर बड़ा आरोप लगाया है. जेडीयू का कहना है कि तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग को गलत जानकारी देते हुए अपनी आय छुपाई है. इस मामले में जेडीयू ने चुनाव आयोग से तेजस्वी की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग तक कर डाली.
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल ये पूरा मामला 2015 और 2020 में तेजस्वी यादव द्वारा चुनावी हलफनामों से जुड़ा हुआ है. जिसे लेकर जेडीयू ने तेजस्वी यादव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी आय को कम करके दिखाया है साथ ही उन्होंने लोगों को दिए गए कर्ज की जानकारी छुपाई है. मंगलवार को जेडीयू प्रवक्ताओं ने कहा कि तेजस्वी यादव ने पांच साल में अपनी इनकम 89 लाख रुपये बताई, हालांकि उन्होंने इस दौरान लोगों को दिए गए 4 करोड़ रुपये के कर्ज का कोई जिक्र नहीं किया.
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जेडीयू ने की तेजस्वी के खिलाफ कार्रवाई की मांग
इसे के साथ जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने तेजस्वी यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. बता दें कि मंगलवार को जेडीयू नेताओं की एक प्रतिनिधि ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की. जिसमें उन्होंने तेजस्वी यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. जेडीयू ने अपनी शिकायत में कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 123 (2) के तहत तेजस्वी यादव के खिलाफ कार्रवाई की जाए. इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें तेजस्वी यादव के 2015 और 2020 के चुनावी हलफनामों का हवाला दिया गया.
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कितनी दिखाई थी तेजस्वी ने अपनी इनकम
जेडीयू नेताओं का कहना है कि तेजस्वी यादव ने साल 2015 के चुनावी हलफनामे में अपनी सालाना आय 5.60 लाख रुपये बताई थी. उनका आरोप है कि उस समय तेजस्वी यादव ने लोगों को 1.13 करोड़ रुपये कर्ज दे रखा था. वहीं साल 2020 के चुनावी हलफनामे में तेजस्वी यादव ने अपनी सालाना आय 1.41 लाख रुपये दिखाई. जो प्रतिमाह सिर्फ 11,812 रुपये होती है. जेडीयू ने इसे लेकर सवाल किया है कि जब विधायकों का न्यूनतम वेतन 40 हजार रुपये है, तो तेजस्वी यादव ने अपनी इनकम इतनी कम कैसे दिखाई.
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