बिहार की राजनीति में 1 सितंबर को एक बड़ी सियासी घटना पेश आई, जहां जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के बाद, त्यागी की नीतीश कुमार से नाराजगी को लेकर कई अटकलें लगाई जाने लगीं. हालांकि आज यानी 5 सितंबर को, केसी त्यागी ने पीटीआई से बातचीत करते हुए नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री बनने की संभावना पर जबरदस्त टिप्पणी की.
त्यागी ने स्पष्ट किया कि जदयू वर्तमान में सिर्फ 12 सांसदों के साथ एक छोटी पार्टी है, और प्रधानमंत्री बनने के लिए 272 सांसदों की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि जबकि नीतीश कुमार को पीएम मटेरियल माना जा सकता है, उन्हें पीएम कैंडिडेट नहीं कहा जा सकता.
जदयू मतलब नीतीश कुमार
त्यागी ने यह भी स्वीकार किया कि जदयू का मतलब उनके लिए नीतीश कुमार है. इसके साथ ही, उन्होंने नीतीश कुमार की बदनामी पर टिप्पणी की और कहा कि कई बार विवादित कदम उठाए गए हैं, लेकिन उन्होंने इससे स्पष्टता से अपनी स्थिति पेश की है.
त्यागी ने पार्टी गठबंधन की राजनीति का संदर्भ देते हुए इतिहास के उदाहरण दिए. उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में डीएमके के साथ गठबंधन किया था, और इसी प्रकार, लालू प्रसाद यादव की बेटी का नाम कांग्रेस से नफरत के बावजूद रखा गया. भाजपा द्वारा पीडीपी, बसपा और ममता बनर्जी के साथ गठबंधन का उदाहरण देते हुए, त्यागी ने बताया कि यह सब राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है.
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान यथार्थ में वैचारिक एकजुटता की बजाय पार्टियां अपनी सुविधा और रणनीति के अनुसार गठबंधन करती हैं. यह राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाता है कि पार्टियां समय की जरूरत और राजनीतिक लाभ के आधार पर अपने कदम उठाती हैं. इस प्रकार, केसी त्यागी का इस्तीफा और उनके बयान ने बिहार की राजनीति में नया सियासी पारा बढ़ा दिया है और इससे जुड़ी बहस को और तीव्र कर दिया है.
अपनी ही पार्टी में नीतीश के खिलाफ हो रही बगावत! अब ये क्या बोल गए केसी त्यागी
बिहार की राजनीति में 1 सितंबर को एक बड़ी सियासी घटना पेश आई, जहां जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के बाद, त्यागी की नीतीश कुमार से नाराजगी को लेकर कई अटकलें लगाई जाने लगीं.
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बिहार की राजनीति में 1 सितंबर को एक बड़ी सियासी घटना पेश आई, जहां जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के बाद, त्यागी की नीतीश कुमार से नाराजगी को लेकर कई अटकलें लगाई जाने लगीं. हालांकि आज यानी 5 सितंबर को, केसी त्यागी ने पीटीआई से बातचीत करते हुए नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री बनने की संभावना पर जबरदस्त टिप्पणी की.
त्यागी ने स्पष्ट किया कि जदयू वर्तमान में सिर्फ 12 सांसदों के साथ एक छोटी पार्टी है, और प्रधानमंत्री बनने के लिए 272 सांसदों की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि जबकि नीतीश कुमार को पीएम मटेरियल माना जा सकता है, उन्हें पीएम कैंडिडेट नहीं कहा जा सकता.
जदयू मतलब नीतीश कुमार
त्यागी ने यह भी स्वीकार किया कि जदयू का मतलब उनके लिए नीतीश कुमार है. इसके साथ ही, उन्होंने नीतीश कुमार की बदनामी पर टिप्पणी की और कहा कि कई बार विवादित कदम उठाए गए हैं, लेकिन उन्होंने इससे स्पष्टता से अपनी स्थिति पेश की है.
त्यागी ने पार्टी गठबंधन की राजनीति का संदर्भ देते हुए इतिहास के उदाहरण दिए. उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में डीएमके के साथ गठबंधन किया था, और इसी प्रकार, लालू प्रसाद यादव की बेटी का नाम कांग्रेस से नफरत के बावजूद रखा गया. भाजपा द्वारा पीडीपी, बसपा और ममता बनर्जी के साथ गठबंधन का उदाहरण देते हुए, त्यागी ने बताया कि यह सब राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है.
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान यथार्थ में वैचारिक एकजुटता की बजाय पार्टियां अपनी सुविधा और रणनीति के अनुसार गठबंधन करती हैं. यह राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाता है कि पार्टियां समय की जरूरत और राजनीतिक लाभ के आधार पर अपने कदम उठाती हैं. इस प्रकार, केसी त्यागी का इस्तीफा और उनके बयान ने बिहार की राजनीति में नया सियासी पारा बढ़ा दिया है और इससे जुड़ी बहस को और तीव्र कर दिया है.