बिहार विधानसभा चुनाव के बाद तीसरे नंबर की पार्टी बनी जनता दल (युनाइटेड) लगातार अपने कुनबे को बढ़ाने में जुटी है. इसे लेकर ना केवल संगठन को मजबूत किया जा रहा है, बल्कि पुराने रूठे दोस्तों को भी मनाने का दौर जारी है. ऐसे में जदयू अब आयोग, निगम, बोर्ड की खाली पड़ी सीटों पर अपने विश्वासपात्रों को बैठाने के मंथन में जुटी हैं. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद से जदयू ना केवल सोशल इंजीनियरिंग दुरूस्त कर जातिगत समीकरणों को साधने में जुटी है बल्कि एक बार फिर मुस्लिम, कुशवाहा और सवर्ण समुदाय के वोटरों को साधने में जुटी है.
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बताया जा रहा है कि इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र विधायक जमां खान को न केवल जदयू की सदस्यता ग्रहण करवाई गई, बल्कि उनको मंत्री पद भी दिया गया. इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) विधानसभा चुनाव में भले ही एक भी सीट नहीं जीत सकी हो लेकिन नीतीश कुमार ने कुशवाहा वोट की अहमियत को समझते हुए ना केवल रालोसपा का जदयू में विलय करवाया बल्कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को विधान पार्षद बनाकर संसदीय दल का अध्यक्ष बना दिया.
जदयू के एक नेता का दावा है कि मुख्यमंत्री और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नीतीश कुमार आयोग, निगम, बोर्ड की खाली पड़ी सीटों पर ऐसे विश्वासपात्रों को बैठाने को लेकर मंथन कर रहे है, जो संगठन को मजबूत कर सके और उसके सहारे वोटबैंक को भी मजबूत किया जा सके. बिहार के पूर्व मंत्री और विधान पार्षद नीरज कुमार भी कहते हैं कि मंत्रिमंडल के गठन के बाद आयोग, निगम, बोर्ड के रिक्त पदों को भरा जाना स्वभाविक प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि राज्य में गठबंधन की सरकार है.
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उन्होंने कहा कि भाजपा की तरफ से इन पदों को भरे जाने को लेकर सूची आएगी, तभी आगे कुछ होगा. उनका मानना है कि अभी कई राज्यों में चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में इस तरह की कवायद कोई नबड़ी बात नहीं है. इसके लिए गठबंधन के लोग बैठेंगे और सूची तय हो जाएगी.
इधर, जदयू के एक नेता ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि इसके लिए जदयू में सूची तैयार की जा रही है. इस सूची में उनलोगों को तवज्जो दिया गया है जो जदयू के हर एक निर्णय में उसके साथ रहे हों साथ ही संगठन विस्तार को लेकर हमेशा काम करते रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि पार्टी वैसे लोगों पर भी नजरें इनायत कर सकती है, जो चुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी से नाखुश चल रहे हैं. बहरहाल, राजग में आयोग, बोर्ड और निगम के रिक्त पदों को लेकर एकबार फिर सियासी पारा गर्म होगा.