चारा घोटाला के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत शनिवार को अपना फ़ैसला सुनाएगी।
शुक्रवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के आवेदन को स्वीकार करते हुए तत्कालीन एजी पीके मुखोपाध्याय, डिप्टी एजी बीएन झा और सीनियर अकाउंट ऑफिसर प्रमोद कुमार को सीआरपीसी की धारा 319 के तहत आरोपी बनाया है।
अदालत ने आदेश में कहा है कि दुमका ट्रेजरी से अवैध निकासी से जुड़े मामले में तीनों की संलिप्तता पायी गई है।
बता दें कि लालू यादव ने शुक्रवार को फैसले की तिथि बढ़ाने एवं तत्कालीन एजी समेत तीन को आरोपी बनाने का अनुरोध किया था।
वहीं रेलवे के होटल के टेंडर मामले में सीबीआई की लीगल टीम का मानना है कि इस मामले में लालू ने कुछ गलत नहीं किया।
लालू यादव फिलहाल रांची की जेल में बंद हैं। इस मामले में कोर्ट ने 5 मार्च को सुनवाई पूरी कर ली थी और उसने 15 मार्च तक के लिए फ़ैसले को सुरक्षित रखा लिया था।
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लालू यादव को चारा घोटाले से जुड़े 3 मामलों में पांच साल, तीन साल और पांच साल की सजा सुनाई जा चुकी है, उन पर 10 लाख रुपये जुर्माना भी लगा है।
सीबीआई के विशेष जज शिवपाल सिंह ने फैसला सुनाए जाने को फिलहाल टाल दिया। क्योंकि लालू यादव के वकील ने बुधवार को 319सीआरपीसी के तहत याचिका दायर कर मांग की कि 1990 में तत्कालीन एजी समेत तीन अधिकारियों को भी इस मामले में पार्टी बनाया जाए।
इस मामले में लालू और मिश्र के अलावा 29 आरोपी हैं जिसमें दुमका ट्रेज़री के एक पूर्व आईएएस अधिकारी, एएचडी आधिकारी भी शामिल हैं।
उस दौरान पैसे के आवंटन की सीमा अधिकतम एक लाख 50 हजार ही थी और लालू राज्य के मुख्यमंत्री थे।
लालू को चार घोटाले के पहले मामले में साल 2013 में पांच वर्ष की सजा सुनाई गई थी।
इस घोटाले के दूसरे मामले में लालू को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी। तीसरे मामले में उन्हें चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के लिए 24 जनवरी को दोषी ठहराया गया था और पांच साल की सजा दी गई।
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Source : News Nation Bureau