बिहार के सरकारी स्कूलों के ताबड़तोड़ निरीक्षण के बाद अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक फिर एक्शन में दिख गए हैं. बिहार में अब शिक्षा में सुधार के नाम पर वहज्यादा छुट्टियां लेने वाले लोगों को पसंद नहीं कर रहे हैं. बिहार बोर्ड ने 29 अगस्त को निर्देश जारी किया था कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए न्यूनतम उपस्थिति 75 प्रतिशत है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में छात्र 60 प्रतिशत उपस्थिति के साथ भी बोर्ड परीक्षा में शामिल हो सकते हैं.
वहीं आपको बता दें कि बिहार बोर्ड के निर्देश में कैंसर, एड्स, टीबी जैसी विशेष बीमारियों से पीड़ित बच्चों को उपस्थिति में 15 प्रतिशत अतिरिक्त छूट का लाभ दिया जाएगा, लेकिन जब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इस निर्देश पर आपत्ति जताई तो बिहार बोर्ड को यह निर्देश बदलना पड़ा और 15 फीसदी उपस्थिति में छूट का फैसला वापस लेना पड़ा.
इसके साथ ही आपको बता दें कि शिक्षा विभाग की फटकार के बाद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने गुरुवार की देर रात अपना फैसला वापस ले लिया. इस संबंध में बिहार बोर्ड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर साफ कर दिया है कि 29 अगस्त को लिया गया बोर्ड का फैसला रद्द किया जाता है. वहीं किसी भी परिस्थिति में कक्षा 9वीं से 12वीं तक 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले विद्यार्थी बोर्ड की वार्षिक परीक्षाओं और बोर्ड परीक्षाओं में शामिल नहीं होंगे। बोर्ड की वार्षिक परीक्षा में 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्र शामिल होते हैं, जबकि कक्षा 9वीं और 11वीं के छात्र स्कूल स्तर पर वार्षिक परीक्षा में शामिल होते हैं.
HIGHLIGHTS
- एक बार फिर एक्शन मूड में दिखे केके पाठक
- अब 75% उपस्थिति में नहीं मिलेगी कोई छूट
- बिहार बोर्ड ने दो दिन में ही वापस लिया फैसला
Source : News State Bihar Jharkhand