पटना हाई कोर्ट के 7 न्यायाधीशों का GPF (जनरल प्रॉविडेंट फंड) खाता बंद हो गया है. न्यायाधीशों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई गई. जब मामला सीजेआई के सामने पहुंचा तो वो भी हैरान रह गए और पूछा-'क्या? न्यायाधीशों का GPF खाता बंद? याचिकाकर्ता कौन है?' सीजेआई ने खुद मामले की सुनवाई की लिए आज की तिथि तय की और आज सीजेआई ने केंद्र व बिहार सरकार से रिपोर्ट मांगी है. बता दें कि सभी सात न्यायाधीशों ने सुप्रीम कोर्ट में सामान्य भविष्य निधि खातों को बंद करने के लिए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश को चुनौती दी है.
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ से मामले में जल्द सुनवाई करने की तारीख मांगी गई थी. याचिका दायर करने वाले न्यायमूर्ति शैलेन्द्र सिंह, न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा,न्यायमूर्ति जितेन्द्र कुमार, न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडेय, न्यायमूर्ति सुनील दत्त मिश्रा, न्यायमूर्ति चन्द्रप्रकाश सिंह और न्यायमूर्ति चन्द्रशेखर झा का नाम शामिल है. ये सभी न्यायिक सेवा कोटे से 22 जून को न्यायाधीश नियुक्त हुए थे. न्यायाधीश बनने के के बाद इनके GPF एकाउंट को बंद कर दिया गया था.
क्या कहा गया है याचिका में?
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में पटना हाईकोर्ट के जजों ने कहा है कि उनके सिर्फ साथ इस आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे न्यायिक सेवा कोटे से नियुक्त किए गए हैं. सभी प्रभावित न्यायाधीशों के GPF एकाउंट को ये दलील देकर बंद कर दिया गया है कि उनकी नियुक्ति न्यायिक सेवा में वर्ष 2005 के बाद हुई थी. प्रभावित न्यायाधीशों ने याचिका में कथन किया है कि उन्हें भी वही सुविधा मिलनी चाहिए जो सुविधा बार कोटे से नियुक्त दूसरे न्यायाधीशों को मिल रही है.
वरिष्ठ अधिवक्ता वेणुगोपाल रखेंगे न्यायाधीशों का पक्ष
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वेणुगोपाल इस मामले में न्यायाधीशों की तरफ से उनका पक्ष रखेंगे. बता दें कि न्यायाधीशों के GPF खाते को इस लिए बंद कर दिया गया है क्योंकि हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति से पहले, न्यायाधीशों को न्यायिक अधिकारियों के रूप में राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत कवर किया गया था.
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क्या होता है GPF?
GPF एक तरह का प्रॉविडेंट फंड अकाउंट ही है और ये EPF की ही तरह कार्य करता है. EPF और GPF एकाउंट में अगर अंतर है तो सिर्फ इतना की EPF एम्प्लॉइज के लिए होता है. GPF का फायदा केवल सरकारी कर्मचारियों को ही मिलता है और वह भी रिटायरमेंट के समय. सरल भाषा में अगर कहें तो GPF एक तरह की रिटायरमेंट प्लानिंग होती है. GPF की रकम कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद मिलती है, जबकि EPF कर्मचारी पहले भी निकाल सकते हैं. सरकारी कर्मचारी अपनी सैलरी का 15 फीसदी तक एमाउंट अपने GPF खाते में डाल अथवा डलवा सकता है, जोकि उसे रिटायरमेंट के समय एकमुश्त रकम मय ब्याज मिलता है. GPF एकाउंट होल्डर अपना नॉमिनी भी बना सकता है. अगर GPF एकाउंट होल्डर का रिटायरमेंट से पहले देहांत हो जाता है तो GPF एकाउंट की सम्पूर्ण राशि मय ब्याज नॉमिनी को मिलता है.
GPF एकाउंट पर ब्याज मुक्त मिलता है लोन
GPF एकाउंट में जमा राशि के आधार पर एकाउंट होल्डर लोन भी ले सकता है और इसमें खास बात ये है कि ये लोग ब्याज मुक्त होता है. कर्मचारी अपने पूरे करियर में कितनी ही बार GPF से लोन ले सकता है, इसके लिए कोई संख्या सीमित नहीं है. एकाउंट होल्डर अपनी सुविधा व जरूरत के अनुसार लोन ले सकता है.
HIGHLIGHTS
- पटना हाईकोर्ट के 7 जजों का GPF एकाउंट बंद
- सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, CJI ने की सुनवाई
- केंद्र व बिहार सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
Source : News State Bihar Jharkhand