जैसे - जैसे 2024 का लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे देश के राजनीतिक गलियारों में गर्माहट बढ़ती जा रही है. खासकर राजनेताओं का गढ़ माने जानेवाले बिहार में तो खासकर चुनावी सरगर्मी देखने को मिल रही है. आज हम बात करेंगे बांका लोकसभा सीट के बारे में. बांका अपने आप मे वैसे तो कई इतिहास समेटे हुआ है. खासकर बिहार को पूर्व सीएम चंद्रशेखर सिंह और पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह के साथ-साथ बांका का प्रतिनिधित्व समाजवादी नेता मधुलिमये, जार्ज फर्नांडीस समेत कई नेताओं के द्वारा किया जा चुका है. देश में गणतंत्र की स्थापना के लगभग 7 साल बाद 1957 में बांका लोकसभा अस्तित्व में आया.
1957 में बांका लोकसभा सीट अस्तित्व में आने से पहले भागलपुर में आता था. पहली बार 1957 में इस सीट के लोकसभा सीट के रूप में आने पर पहली ही बार में महिला शक्ति को संसद में यहां से जाने का मौका मिला. शकुंतला देवी बांका लोकसभा सीट से संसद जानेवाली पहली महिला सांसद थीं. इतना ही नहीं शकुंतला देवी 1962 में भी यहां की सांसद चुकी गई. इस तरह लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी शकुंतला देवी के नाम रहा है. हालांकि, दिग्विजय सिंह भी लगातार दो बार सांसद थे लेकिन 1998 उपचुनाव और 1999 के लोकसभा चुनाव में.
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इतना ही नहीं इस सीट से जेडीयू के उम्मीदवार और मौजूदा सांसद गिरिधारी यादव को बांका सीट से तीन बार अलग-अलग समय पर संसद में चुनकर जाने का मौका मिला. पहली बार गिरधारी यादव को 1996 में संसद में जाने का मौका मिला, फिर 2004 में उसके बाद 2019 में गिरधारी यादव बांका से संसद सदस्य बने.
कौन, कब बना बांका का सांसद?
-1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शकुंतला देवी को बांका से बतौर लोकसभा सांसद प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला
-1967 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जन संघ के प्रत्याशी बेनी शंकर शर्मा को जीत मिली और सांसद बने
-1971 में कांग्रेस प्रत्याशी शिव चंद्रिका प्रसाद को जीत मिली
-1973 में सोशलिस्ट पार्टी की मधु लिमाय को जीत मिली
-1977 में मधु लिमाय ने जनता पार्टी के चुनाव निशान पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की
-1980 में कांग्रेस के चंद्रशेखर सिंह को जीत मिली
-1984 में कांग्रेस की प्रत्याशी मनोरमा सिंह को जीत मिली
-1985 में कांग्रेस के चंद्रशेखर सिंह फिर से सांसद बने
-1986 में कांग्रेस की प्रत्याशी मनोरमा सिंह फिर से सांसद बनी
-1889 और 1991 जनता दल के प्रताप सिंह को जीत मिली
-1996 में मौजूदा सांसद गिरधारी यादव को जनता पार्टी के सिंबल पर चुनाव में पहली बार जीत मिली
-1998 में समता पार्टी के चुनाव निशान पर दिग्विजय सिंह को जीत मिली
-1999 में दिग्विजय सिंह ने जनता दल से चुनाव लड़ा और जीते
-2004 में आरजेडी से गिरधारी यादव ने चुनाव लड़ा और दूसरी बार जीतकर संसद पहुंचे
-2009 में दिग्विजय सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की
-2010 के उपचुनाव में पुतुल कुमारी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बांका से जीत हासिल की
-2014 लोकसभा चुनाव में देश में मोदी लहर होने के बाद भी आरजेडी ने यहां से जीत हासिल की और जय प्रकाश नारायण यादव को विजय मिली
-2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से गिरधारी यादव को जीत मिली, जेडीयू ने गिरधारी को प्रत्याशी बनाया था
कुल मिलाकर अगर एक वाक्य में कहें तो बांका सीट पर इस बार कांटे की लड़ाई देखने को मिलेगी. जहां, गिरधारी यादव के रूप में I.N.D.I.A. गठबंधन के पास तीन-तीन बार जीत हासिल करके संसद जा चुका मजबूत प्रत्याशी होगा तो वहीं दूसरी तरफ NDA का प्रत्याशी भी संसद जाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाले.
मोदी लहर भी 2014 नहीं खिला सकी बांका में कमल
2014 के लोकसभा चुनाव में देश में मोदी लहर थी. कई ऐसे सीटों पर भी बीजेपी को जीत हासिल हुई थी जहां उसने कल्पना नहीं की थी. इतना ही नहीं प्रधान पद तक का चुनाव हारने वाले प्रत्याशी भी बीजेपी के चुनाव निशान पर चुनाव लड़कर संसद पहुंचे थे लेकिन बांका लोकसभा सीट पर मोदी लहर का कोई असर नहीं पड़ा. 2014 के लोकसभा चुनाव में जय प्रकाश नारायण यादव ने आरजेडी के निशान पर चुनाव लड़ा और 2,85,150 वोट पाकर पहले स्थान पर रहे. हालांकि, बीजेपी ने अपना बेस्ट किया था और महज 10,000 वोट से हार का सामना किया था. बीजेपी ने पुतुल कुमारी को अपना प्रत्याशी बनाया था. पुतुल कुमारी 2,75,006 वोट पाकर दूसरे स्थान पर थीं. बता दें कि पुतुल कुमारी 2010 के उपचुनाव में 2,88,958 वोट पाकर विजयी बनीं थीं और उस बार उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. 2010 में पुतुल कुमारी ने आरजेडी के ही प्रत्याशी जय प्रकाश नारायण यादव को हराया था. 2014 में मोदी लहर होने के बाद भी पुतुल कुमारी की बतौर बीजेपी प्रत्याशी हार हुई थी. हालांकि, पुतुल कुमारी की मजबूती को नकारा जाना बेमानी होगी.
2019 में लालटेन को तीर ने छेद डाला!
2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से आरजेडी ने अपने 2014 के विजयी प्रत्याशी जय प्रकाश नारायण यादव को अपना प्रत्याशी बनाया. वहीं, जेडीयू ने गिरधारी यादव को चुनावी मौदान में आरजेडी के खिलाफ उतारा. जेडीयू ने 2019 में बांका लोकसभा सीट पर भारी अंतर से जीत हासिल की. जीत का फांसला इतना लंबा था कि आरजेडी दो नंबर पर होने के बाद भी लगभग 2 लाख वोटों से हारी थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में गिरधारी यादव (JDU) को 477,788 वोट मिले थे जबकि 2014 में जीत हासिल करने वाले आरजेडी प्रत्याशी जय प्रकाश नारायण यादव को 2,77,256 वोट मिले थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से पुतुल कुमारी का दम देखने को मिला. पुतुल कुमारी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और उन्हें 1,03,729 वोट मिला. हालांकि, इस बार पुतुल कुमारी का जनाधार जरूर कम हुआ था.
बांका के विधानसभा सीटों का हाल
बांका लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीटे हैं. इनमें से सुल्तानगंज, अमरपुर और बेलहर पर जेडीयू का कब्जा है. वहीं, बांका और कटोरिया सीट बीजेपी के कब्जे में हैं. सिर्फ एक सीट धोरैया ही आरजेडी के पास है. यानि कि बांका की 6 विधानसभा सीटों में से 5 पर INDIA गठबंधन का कब्जा है.
जातिगत वोटरों की संख्या (2019 के मुताबिक)
-3 लाख यादव वोटर यादल
-राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार व कायस्थ मतदाता करीब 3.5 लाख
-मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग 2 लाख
-लगभग 30 हजार वोटर गंगोता
-कुर्मी वोटर लगभग 1 लाख
-कोईरी वोटर लगभग 80 हजार
-महादलित वोटर लगभग 2.5 लाख
-अन्य जातियों के वोटरों की संख्या लगभग 1 लाख है
बांका में वोटरों की संख्या (2019 के मुताबिक)
-कुल मतदाता: 16,87,920
-कुल पुरुष मतदाता: 8,96,329
-महिला मतदाता: 7,91,591
-थर्ड जेंडर: 20
-2019 में नए मतदाता जुड़े: 10,565
HIGHLIGHTS
- बांका लोकसभा सीट से कई दिग्गज हस्तियां संसद पहुंची
- पहली बार शंकुतला देवी ने हासिल की थी जीत
- आरजेडी और जेडीयू को भी मिल चुकी है जीत
- निर्दलियों ने भी बांका सीट से मारी है बाजी
- फिलहाल जेडीयू के गिरधारी यादव हैं बांका के सांसद
Source : Shailendra Kumar Shukla