बिहार सरकार अपनी योजनाओं को लेकर भले ही लाख दावे कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. मोतिहारी जिले में 2016-17 में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से 7 निश्चय योजना लाई गई थी. इस योजना को लेकर आज तक जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ, लेकिन आवंटित पैसे की बंदरबांट खूब की गई. मामला आदापुर प्रखण्ड के हरपुर पंचायत के वार्ड नंबर 3 का है, जहां 7 निश्चय योजना के तहत नालों का पक्कीकरण किया जाना था.
बाबूलाल साह के घर से मुख्तार मिया के घर तक 8 लाख 57 हजार की लागत से पक्के नाले का निर्माण होने था. वहीं, प्राथमिक विद्यालय से मुरत मिया के खेत तक 5 लाख 35 हजार की लागत से पक्के नाले का निर्माण होना था. ये दोनों निर्माण कार्य वितिय वर्ष 2019-20 और वित्तीय वर्ष 2020-21 में होना था, लेकिन निर्माण कार्य को कभी शुरू ही नहीं किया गया. वर्तमान वॉर्ड सदस्य का आरोप है कि पूर्व जनप्रतिनिधियों ने सरकारी पैसों का बंदरबांट कर लिया, लेकिन अभी तक काम नहीं किया गया है.
नालों के पक्कीकरण न होने से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बारिश के मौसम में जल निकासी नहीं हो पाती. परेशान ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ कागजों पर नालों का पक्कीकरण हुआ है. जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं किया गया है.
मोतिहारी का ये मामला सिर्फ एक पंचायत या एक जिले का मामला नहीं है. बिहार में हर दूसरे जिले और पंचायत में हालात यही है. सरकार की ओर से विकासकार्य के लिए पैसों का आवंटन होता है. विकासकार्य की जिम्मेदारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों को सौंप दी जाती है, लेकिन जनता के हित के लिए खर्च होने के बजाय सरकारी पैसे भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के जेब में चले जाते हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर कब तक इन भ्रष्ट जनप्रतिधियों और अधिकारियों पर शिकंजा कसा जाएगा और कब तक जनता को यूं सरकारी लाभों से दूर रखा जाएगा.
Source : Ranjit Kumar