राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar) पर कटाक्ष किया है. लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर कहा कि पर्दे में रहने दो पर्दा ना उठाओ, पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगा. इसके साथ उन्होंने नीतीश कुमार की एक तस्वीर शेयर की है. आपको बता दें कि इस साल बिहार विधानसभा चुनाव होने वाला है, इसे लेकर सारी राजनीतिक पार्टियों में आरोप-प्रयारोप दौर शुरू हो गया है.
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है कि नीतीश कुमार के पंद्रह साल भ्रम और झूठ का काला काल है. बता दें कि उस तस्वीर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दौरे को लेकर झोपडपट्टी वाले इलाकों को कपड़े से ढंक दिया गया था. तस्वीर में दिख रहा कि जब सीएम नीतीश जब उधर से गुजर रहे तभी एक सिपाही कपड़े को नीचे दबाता है तो उस पर झोपड़ी दिखाई पड़ रहा.
पर्दे में रहने दो पर्दा ना उठाओ
पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगानीतीश कुमार के पंद्रह साल
भ्रम और झूठ का काला काल pic.twitter.com/TSYBiEeSKa— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) June 27, 2020
राजद उम्मीदवारों ने बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकनपत्र दाखिल किये
आपको बता दें कि बिहार में सत्तारूढ़ राजग के सभी पांच उम्मीदवारों ने विधान परिषद की नौ सीटों के वास्ते होने वाले द्विवार्षिक चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को अपने नामांकन पत्र दाखिल किए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत जदयू और भाजपा के वरिष्ठ नेता उम्मीदवारों के नामांकन के लिए पहुंचे. विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सभी नौ सीटों पर इन दोनों पार्टियों का कब्जा है.
मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल मई में खत्म हो गया है, इसलिए इन सीटों पर चुनाव कराया जा रहा है. 2015 के चुनाव में विधानसभा का गणित बदलने की वजह से राजग, राजद-कांग्रेस गठबंधन के हाथों चार सीटें गवाएगा. इन नौ में से अपनी सभी तीन सीटों पर जदयू ने नए चेहरों को उतारा है. जदयू के पास पहले इन नौ सीटों में से छह सीटें थी. पार्टी ने गुलाम गौस को उम्मीदवार बनाया है जो दिवंगत नेता गुलाम सरवर के रिश्तेदार हैं. वह पसमांदा (पिछड़े हुए) मुस्लिम थे.
इस समुदाय में नीतीश कुमार ने पकड़ बनाई है जिससे अल्पसंख्यकों पर लालू प्रसाद की पैठ को नुकसान पहुंचा है. भीष्म साहनी पूर्वी चंपारण जिले के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता हैं और उनको उम्मीदवार बनाकर ईबीसी समुदाय को यह संदेश देने की कोशिश है कि जदयू उनके प्रति संवेदनशील है। कुमुद वर्मा जहानाबाद में एक राजनीतिक परिवार से आती हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी उम्मीदवारी पार्टी द्वारा कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले "महिला हितैषी" होने की छवि पेश करने का एक प्रयास है.खाली हो रही सीटों में से तीन पर भाजपा का कब्जा था.
उसने संजय प्रकाश उर्फ, संजय मयूख को दूसरा मौका दिया है. कायस्थ समुदाय से आने वाले संजय मयूख पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया सह-संयोजक भी हैं. इसके अलावा, भाजपा ने अपनी पूर्व राज्य इकाई के उपाध्यक्ष सम्राट चौधरी को मैदान में उतारने का फैसला किया है. सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी कुशवाहा समुदाय के एक प्रमुख नेता हैं. नामांकन दिन में आखिरी समय में दायर किया गया है. राजद के तीन उम्मीदवारों ने बुधवार को नामांकन दाखिल किया था.
Source : News Nation Bureau