Bihar Politics: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए और इंडिया एलायंस पूरी तरह से जुटे हुए हैं. प्रदेश में सियासी पारा हाई हो चुका है. इन सबके बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव चुपचाप एक नेता से मिलने के लिए पहुंचे. इस दौरान उनके साथ प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और छोटे बेटे तेजस्वी यादव भी मौजूद थे. लोकसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने जमकर चुनावी रैलियां की थी और एनडीए पर निशाना साधने का कोई कसर नहीं छोड़ा था. वहीं, खराब सेहत होने के बावजूद लालू प्रसाद यादव भी कई बार चुनावी रैलियों में पहुंचे और विपक्ष पर जमकर निशाना साधते हुए देखे गए. पूरी ताकत लगाने के बाद भी इंडिया एलायंस को बिहार में निराशा हाथ लगी और एनडीए का प्रदर्शन अच्छा रहा. इन सबके बीच लालू यादव अब विधानसभा चुनाव से पहले कई नेताओं के साथ अपने बिगड़े हुए संबंध को ठीक करने में जुट गए हैं.
हिना शहाब से लालू ने की गुपचुप मुलाकात
सूत्रों की मानें तो लालू यादव ने राजधानी पटना में आरजेडी के दिवंगत नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से मुलाकात की. लोकसभा चुनाव में हिना शहाब ने सिवान से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. यह मुलाकात करीब 1 घंटे की हुई. जानकारी के अनुसार यह मुलाकात पॉजिटिव रही और हिना शहाब दोबारा आरजेडी में शामिल हो सकती हैं. बुधवार को हुई इस मुलाकात पर अब तक तीनों ही नेताओं में से किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव में आरजेडी की टिकट से हिना शहाब का बेटा ओसामा शहाब चुनाव लड़ सकते हैं.
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लोकसभा चुनाव में हिना ने निर्दलीय लड़ा था चुनाव
वहीं, आरजेडी हिना शहाब को राज्यसभा भेज सकती है. आपको बता दें कि 2024 में हिना शहाब ने निर्दलीय चुनाव लड़ने से पहले मीडिया से बात करते हुए कहा था कि आरजेडी की तरफ से उन्हें नजर अंदाज किया जा रहा है. जिसकी वजह से वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगी. लालू यादव और हिना शहाब की इस मुलाकात को लेकर कई तरह के सियासी कयास लगाए जा रहे हैं.
बिहार में अहम है MY समीकरण
आपको बता दें कि बिहार में आरजेडी का बड़ा वोट बैंक MY समीकरण पर टिका हुआ है. एम का मतलब मुस्लिम और वाई का मतलब यादव. इनमें से अगर कोई वोट बैंक भी आरजेडी पर भरोसा नहीं दिखाते हैं तो पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है. इन दिनों जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर लगातार आरजेडी पर निशाना साधते नजर आ रहे हैं और मुस्लिम वोटर्स को आरजेडी से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं. जो आरजेडी के लिए मुसीबत बन सकती है.