बिहार की राजनीती में जिस तरह से हिचकोले होते हैं अगर इतने हिचकोले किसी नांव में हो तो नाविक अपना पेट पकड़ ले या ये काम ही छोड़ दे। दरअसल राजनीति का स्तर बिहार में आये दिन बदलता रहा है। बिहार की राजनीती में सबसे बड़े क्षेत्रीय दलों में से एक लालू यादव की पार्टी आरजेडी को अभी उन्ही के नेतृत्व में चलना चाहिए क्योंकि बिहार का सोशल मीडिया से कुछ इतना वास्ता होता तो कन्हैया कुमार जिनकी वीडियो पर लाखों में हिट मिलते है वो इतने बड़े अंतर् से ना हारते। तेजस्वी अभी युवा है जोशीले है लेकिन अभी राजनीति में उन्हें बहुत कुछ सीखना है. अपने पिता और सीएम 'चाचा' से. राजनीति में युवा जोश काम नहीं आता इतना, जितना की पुराणी समझ काम आती है या सीधे शब्दों में कहें की जिसके पास जितना एक्सपीरियंस होगा वो उतना माहिर खिलाडी होगा. लेकिन इस से उलट पार्टी के ही बड़े नेता शिवानंद तिवारी ने लालू यादव से अपील करते हुए कहा था की अब समय आ गया है कि तेजस्वी यादव को आरजेडी की कमान सौंप देनी चाहिए.
RJD के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि युवा आबादी के सपनों और आकांक्षाओं को लालू यादव सहित हम पुरानी पीढ़ी के लोग नहीं समझते हैं. उनके कहने का ये साफ मतलब है की सत्ता अब युवा के हाथ में दे देनी चाहिए. क्योकि वक्त बदल गया है यह आबादी गांवों के उन पुराने मुहावरों और कहावतों को नहीं समझती है जिसके महारथी लालू जी हैं. लेकिन इस युवा आबादी ने तेजस्वी यादव को स्वीकार किया है. इसका आकलन दो चुनाव के परिणामों से समझा जा सकता है. 2010 का विधानसभा चुनाव राजद ने लालू जी के नेतृत्व में लड़ा था. उस चुनाव में राजद के महज 22 विधायक जीत पाये थे इसलिए उस चुनाव के परिणाम को यहां नजीर के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. लेकिन उसके बाद 2020 के चुनाव में गठबंधन बनाने से लेकर नेतृत्व तक शुद्ध रूप से तेजस्वी यादव ने किया था.
Source : Abhijeet Sharma