आज से बिहार में जातिगत जनगणना शुरू होने जा रही है. दो चरणों में पूरे बिहार में जातिगत जनगणना होगी. इसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. 21 जनवरी तक इसका पहला चरण चलेगा. लेकिन अब इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सीएम नीतीश कुमार और बिहार सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपने बड़े भाई लालू प्रसाद के रास्ते पर चलकर बिहार में जातिगत जनगणना कराकर जातिय उन्माद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की राह पर चल पड़े हैं
उन्होंने कहा कि हमारे देश को आजाद हुए 75 साल हो गए इतने साल बीत गए लेकिन देश में किसी ने जातिगत जनगणना कराने की जरुरत समझी ही नहीं थी. केंद्र सरकार ने सभी तबके के लोगों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं. बापू, जेपी, लोहिया जैसे लोगों ने देश को जाति विहीन बनाने का सपना देखा था लेकिन आज नीतीश कुमार ने उनके सपने को तोड़ दिया है. आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने बिहार में जातिय नरहसंहार कराया था और आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उसी राह पर चल पड़े हैं.
जातिय जनगणना से बिहार की जनता को क्या मिलेगा लाभ
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार में जातिय जनगणना जरूर कराएं लेकिन ये भी बताएं कि जो पांच सौ करोड़ रुपए की राशि खर्च हो रही हैं, उससे बिहार की जनता को क्या लाभ मिलेगा. BPSC, BSSC और शिक्षक अभ्यर्थियों पर जो लाठियां बरसाई जा रही हैं उसका समाधान करने के बजाए जाति के नाम पर समाज में लोगों को एक दूसरे से लड़ाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने हाथ जोड़कर बिहार को बख्श देने की अपील की है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि 32 साल से बिहार में जाति आधारित जनगणना क्यों नहीं कराई गई. अब जब बिहार में विकास की गति तेज है तो सत्ता के लिए फिर से राज्य में अशांति लाने प्रयास किया जा रहा है.
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पांच करोड़ लोगों ने क्यों किया पलायन
उन्होंने कहा कि बिहार के पांच करोड़ लोग जो राज्य से पलायन कर चुके हैं सरकार को उनकी भी चिंता करनी चाहिए. आखिर क्यों उन्हें पलायन करना पड़ा, इसके लिए जिम्मेवार कौन है और जनगणना तो उनकी होनी चाहिए कि कितने लोगों ने पलायन किया है. सभी पार्टियों की बैठक बुलाकर इसपर मंथन करना चाहिए. उन्होंने कहा शराबबंदी की तरह ये नीति भी फेल हो जाएगी और इसका साइड इफेक्ट भी बहुत जल्द ही सामने आ जाएगा.
जातिगत जनगणना क्यों ?
सरकार के पास OBC और दूसरी जातियों का डेटा नहीं.
OBC की सही आबादी का अनुमान लगाना मुश्किल.
1951 से SC और ST जातियों का डेटा होता है पब्लिश.
1990 में वीपी सिंह सरकार ने की थी पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश.
आयोग ने 1931 की जनगणना के आधार पर लगाया था अनुमान.
देश में OBC की 52% आबादी होने का लगाया था अनुमान.
मंडल आयोग की सिफारिश पर ही OBC को मिला 27% आरक्षण.
SC और ST को जाति के आधार पर मिलता है आरक्षण.
OBC के आरक्षण का नहीं है कोई आधार.
जातिगत जनगणना का विरोध क्यों ?
जातिगत जनगणना के समर्थन में नहीं केंद्र सरकार
आपको बता दें कि लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक बयान दिया था
संविधान के मुताबिक, सिर्फ SC-ST की ही हो सकती है जनगणना
जातिगत जनगणना होने से देश में 1990 जैसे हालात बन सकते हैं
फिर से मंडल आयोग जैसे आयोग को हो सकती है गठन की मांग
इसके बाद संभावना है कि आरक्षण की व्यवस्था में भी फेरबदल हो
आबादी बढ़ने के साथ ही ज्यादा आरक्षण देने की मांग भी उठ सकती है
OBC कोटे में बदलाव की मांग बीजेपी के लिए बन सकती है मुसीबत
क्या है सियासी गणित ?
मंडल आयोग के बाद कई क्षेत्रीय पार्टियों का हुआ उदय
OBC के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है बिहार की राजनीति
सभी पार्टियां OBC को ध्यान में रखकर कर रही अपनी सियासत
सियासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से हो रही मांग
केंद्र में बीजेपी कर रही है विरोध, बिहार में समर्थन में है खड़ी
HIGHLIGHTS
- बिहार में जातिय उन्माद फैलाने की कर रहे हैं कोशिश : विजय कुमार सिन्हा
- बापू, जेपी, लोहिया जैसे लोगों का सपना नीतीश ने तोड़ दिया : विजय कुमार सिन्हा
- समाज में लोगों को एक दूसरे से लड़ाने का किया जा रहा काम : विजय कुमार सिन्हा
Source : News State Bihar Jharkhand