गया में सर्दी ने दस्तक दे दी है और इस सर्दी के बीच न्यूज स्टेट बिहार झारखंड की टीम पहुंची सरकारी स्कूल की हकीकत जानने. हकीकत जानने की वजह भी है और वजह ये है कि हमें खबर लगी कि हथियार गांव के एक स्कूल की बदहाली की कहानी सालों से चलते ही आ रही है. उत्क्रमित उच्च विद्यालय में बदहाली का दस्तूर है. कहने के लिए स्कूल के पास कई एकड़ जमीन है, लेकिन जमीन से शिक्षा व्यवस्था नहीं सुधरती. इसके लिए स्कूल के पास भवन होने चाहिए. यहां बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ते मिले. ऐसा नहीं है कि भवन नहीं है, स्कूली भवन तो है लेकिन सिर्फ दो कमरे का. जो 746 बच्चों के लिए है. इतना ही नहीं, जो कमरे हैं उसमें एक कमरे की हालत बेहद जर्जर है.
जर्जर क्लास रूम में बैठकर पढ़ना, जान जोखिम में डालने से कम नहीं है. एक कमरे में पहली से लेकर 10वीं तक के बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था है. 400 से ज्यादा स्कूली छात्र हर रोज अपनी उपस्थिति इस स्कूल में दिखाते हैं, लेकिन क्लास रूम की बजाय इन बच्चों को बाहर खुले मैदान में बैठकर पढ़ने की मजबूरी है. कक्षा एक से 8 तक के बच्चे खुले मैदान में बैठकर पढ़ते हैं तो, 9वीं और दसवीं के बच्चे स्कूल भवन के उसी क्लास रूम में पढ़ते हैं. ऐसा नहीं है कि इस बदहाल व्यवस्था को सुधारने की कवायद की नहीं गई. स्कूल के लिए नये भवन की मांग की गई. जिसके बाद आश्वासन तो मिला पर भवन नहीं मिला. 3 साल से स्कूल का भवन जर्जर हालत में है. स्कूल के पास जमीन तो है, लेकिन भवन नहीं है. शिक्षा विभाग की लापरवाही के शिकार छात्र हो रहै हैं.
न्यूज स्टेट की रियलिटी चेक में स्कूल की कई कमियों को देखी. स्कूल की बदहाली देखी. बच्चों के साथ होता खिलवाड़ भी दिखा. शिक्षा व्यवस्था पर उठते सवालों के बीच कुछ अगर बेहतर नजर आया तो वो है इस जर्जर स्कूल के छात्रों को जज्बा. जो हर हाल में अपने उज्जवल भविष्य को संवारने के लिए डंटे हुए हैं.
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Source : News State Bihar Jharkhand