लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) में दरार पड़ गई है. पार्टी के अंदर सांसदों ने तख्तापलट कर दिया है. लोजपा के सांसदों ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान से बगावत कर दी है. लोजपा के 6 में से 5 सांसदों ने चिराग को संसद के निचले सदन में पार्टी के नेता के पद से हटाने और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को इस पद पर चुनने के लिए हाथ मिला लिया है. इस पर अब चिराग पासवान के चाचा और सांसद पशुपति कुमार पारस बैठेंगे. चिराग से बगावत करने वाले सांसदों ने उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को अपना नेता मान लिया है.
यह भी पढ़ें : गुजरात में जमीन मजबूत करने की तैयारी AAP की! केजरीवाल आज अहमदाबाद में
बिहार के जमुई से सांसद चिराग पासवान को लोक जनशक्ति पार्टी के संसदीय दल के नेता की कुर्सी से भी हटा दिया गया है. चिराग पासवान के खिलाफ लोजपा के पांचों सांसदों ने बगावत करके अलग होने की चिट्ठी भी सौंप दी है. सूत्रों की मानें तो कल ही लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर पशुपति पारस के नेतृत्व में सांसदों ने चिट्ठी सौंपी है. इसके अलावा सूत्रों ने बताया है कि आज दोपहर डेढ़ बजे बागी सांसद पशुपति पारस के नेतृत्व में चुनाव आयोग जाएंगे और 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस हो सकती है. सभी सांसद इस दौरान अपना पक्ष रखेंगे.
दरअसल, लोजपा में बगावत के बाद सभी पांचों सांसद ने चिराग पासवान का साथ छोड़ दिया है. सांसदों के इस समूह ने लोकसभा अध्यक्ष को अपना यह निर्णय बता दिया है. हालांकि चिराग पासवान या असंतुष्ट खेमे की ओर से इस संदर्भ में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. बगावत करने वाले सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीना देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं. 2020 में पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद कार्यभार संभालने वाले चिराग अब पार्टी में अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं.
यह भी पढ़ें : ममता बनर्जी ने सोशलिज्म से रचाई शादी, साधारण तरीके से हुआ आयोजन
हालांकि लोजपा से बगालत के सवालों पर पशुपति पारस खेमे के नेताओं का कहना है कि इसे पार्टी में टूट कहना गलत होगा, क्योंकि सिर्फ नेता बदला है न कि पार्टी. पार्टी रामविलास पासवान के ही सिद्धांतों पर चलेगी. इन नेताओं का कहना है लोजपा रहेगी, सिर्फ मुखिया को बदला गया है. उधर, चिराग पासवान के करीबी सूत्रों ने जनता दल (यूनाइटेड) को इस बंटवारे के लिए जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि जदयू लंबे समय से लोजपा अध्यक्ष को अलग-थलग करने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जाने के चिराग के फैसले से सत्ताधारी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा था. सूत्रों की मानें तो नाराज लोजपा सांसदों का समूह भविष्य में जदयू का समर्थन कर सकता है.
HIGHLIGHTS
- लोक जनशक्ति पार्टी में पड़ी दरार
- राष्ट्रीय अध्यक्ष से सांसदों की बगावत
- पशुपति पारस के साथ आए सभी सांसद