लोकसभा चुनाव 2024 का असर अब दिखने लगा है. भले ही चुनाव में अभी एक साल हो, लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं. पिछले दिनों दिल्ली में कांग्रेसी नेताओं के अलावे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, माकपा सचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी राजा जैसे दिग्गज नेताओं से मुलाकत कर सीएम नीतीश ने विपक्ष एकता को नई दिशा देने की पूरी कोशिश की है. अब उन्होंने बंगाल के सीएम ममता बनर्जी के साथ सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के साथ मुलाकात कर आगामी आम चुनाव को दिलचस्प बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. यहां तक कि लखनऊ में पीसी के दौरान सीएम नीतीश ने बीजेपी मुक्त भारत की बात की. आईए जानते हैं, वो पांच वजह जिससे 2024 का लोकसभा चुनाव मोदी वर्सेस नीतीश होने की पुरजोर संभावना है.
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इन राज्यों में बीजेपी को कमजोर बनाने की कोशिश
बिहार, झारखंड, बंगाल, उत्तर प्रदेश इन चारों राज्यों को मिलाकर 176 लोकसभा की सीट है. बीजेपी ने 176 में से 109 सीटों पर कब्जा किया है. नीतीश कुमार चाहते हैं कि इन राज्यों में बीजेपी की सीटों को कम किया जाए. अगर बिहार की बात करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी के साथ लोजपा ने मिलकर 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि एक सीट पर कटिहार में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. वहीं, बिहार की सत्ता में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी खाता भी नहीं खोल पाई थी, लेकिन इस बार समीकरण बदला हुआ है. महागठबंधन के साथ सात दल हैं, तो नीतीश आरजेडी के साथ मिलकर 2015 में हुए विधानसभा चुनाव वाली इतिहास दोहराना चाहते हैं. जब बीजेपी को 54 सीटों पर महागठबंधन ने समेट दिया था.
झारखंड
झारखंड में 2019 में बीजेपी ने 14 में से 12 सीटों पर विजय प्राप्त किया था, उस समय प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी. केवल दो सीट उस समय महागठबंधन के खाते में गई थी. जब राजमहल से विजय हंसदा (जेएमएम) के साथ सिंहभूम से पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा (कांग्रेस) ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 18 वीं लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश में ऐसा कोई चेहरा नहीं जो बीजेपी का सामना कर सके. ऐसे में नीतीश कुमार विपक्षी एकता के मुहीम में सफल होते हैं, तो महागठबंधन के चेहरा के तौर सीएम नीतीश सबसे आगे होंगे पीएम के रेस में.
बंगाल
अगर बंगाल की बात की जाए तो मिशन 2024 में लगे सीएम नीतीश कुमार पहले ही माकपा नेता सीताराम येचुरी से दिल्ली में मिल चुके हैं उसके बाद 24 अप्रैल को ममता दीदी से मुलाकत कर विपक्षी एकता की बात की, लेकिन सीएम ममता और माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी को एक मंच लाना नीतीश कुमार के लिए बड़ी जीत से कम नहीं होगी. बंगाल में दोनों एक-दूसरे के लिए राजनीतिक मंच पर धुर विरोधी हैं. अगर नीतीश कुमार इस अभियान में सफल हो जाते हैं, तो फिर नीतीश और मोदी वर्सेस की लड़ाई बिल्कुल साफ हो जाएगी.
उत्तर प्रदेश
चलिए अब यूपी की समीकरण देखा जाए. 24 अप्रैल को ममता से मिलने के बाद सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सीधे लखनऊ पहुंचे. जहां उनकी मुलाकात सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ हुई. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तो सीएम नीतीश ने सीधे बीजेपी मुक्त भारत की बात की, लेकिन यूपी की डगर बहुत कठिन दिख रहा है. वहां योगी मॉडल अपना प्रभुत्व जमाए रखा है. 17 वीं लोकसभा चुनाव के साथ हाल ही संपन्न विधानसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों का हाल देखा जा चुका है. बीजेपी लगातार 16वीं और 17 वीं लोकसभा चुनाव में पचास से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की है. ऐसे में अगर सीएम नीतीश अखिलेश यादव के साथ बसपा सुप्रीमो मयावती के साथ अन्य विपक्षी पार्टी को एक मंच पर लाने में सफल हो जाते हैं, तो फिर 2024 का लोकसभा चुनाव दिलचस्प बन जाएगी.
स्क्रिप्ट- पिन्टू कुमार झा
HIGHLIGHTS
- विपक्षी एकता के मुहीम में जुटे हैं सीएम नीतीश
- बीजेपी मुक्त भारत की सीएम नीतीश ने की बात
- चार राज्यों में बीजेपी के सीटों को कम करने का लक्ष्य
Source : News State Bihar Jharkhand