लोकसभा चुनाव 2019 में चाणक्य की धरती माने जाने वाले बिहार के रण में उतरने के लिए आज एनडीए में शामिल तीनों दलों भारतीय जनता पार्टी (BJP), जनता दल यूनाइटेड (JDU) और लोकजन शक्ति पार्टी (LJP) के बीच शीट शेयरिंग का ऐलान होने वाला था लेकिन अब इसे एक दिन टाल दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक इस फैसले को इसलिए टाला गया क्योंकि एनडीए में शामिल नीतीश की पार्टी जेडीयू और राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी सीटों की संख्या के साथ ही सीटों का चयन का भी ऐलान चाहती है ताकि दोनों दल उन क्षेत्रों में अपनी तैयारी अभी से ही शुरू कर सकें.
अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 18, जेडीयू 17 और एलजेपी 5 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. एक दिन पहले ही हमने आपको यह बता दिया था कि बीजेपी ने 5+1+1 के फॉर्मूले पर एलजेपी को मना लिया है. यहां इस फॉर्मूले का मतलब है कि बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से एलजेपी को 5 सीटें एनडीए की तरफ से लड़ने के लिए मिलेगा जबकि 1 राज्यसभा की सीट और 1 लोकसभा की सीट यूपी में भी लड़ने के लिए मिलेगा
एलजेपी को मिल सकती है ये सीटें
सीटों शेयरिंग पर विवाद खत्म होने के बाद अब क्षेत्रवार सीटों के चयन को लेकर भी विवाद हो सकता है इसलिए इस पर आज बीजेपी सहित तीनों दल अपनी-अपनी राजनीतिक पार्टियों के बड़े अधिकारियों के साथ मंथन कर रही हैं. संभावना है कि सीट शयरिंग के साथ ही सीटों के चयन का भी कल दिल्ली में ऐलान हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक जो रिपोर्ट सामना आ रही है उसके मुताबिक बिहार में एलजेपी पांच सीटों पर चुनाव लड़ सकती है जिसके लिए उन्हें हाजीपुर, जमुई ,समस्तीपुर, वैशाली और नवादा की सीट दी जा सकती है. इन क्षेत्रों में रामविलास पासवान की पार्टी का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है. जबकि सूत्रों के मुताबिक बीजेपी राम विलास पासवान को असम से राज्यसभा भेज सकती है. वही एलजेपी को एक सीट यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी देगी जिस पर एलजेपी के यूपी अध्यक्ष के चुनाव लड़ने की बात सामने आ रही है.
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सीट शेयरिंग पर जेडीयू से हो सकता है बीजेपी का टकराव
वहीं दूसरी तरफ जेडीयू के मुखिया और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने दिल्ली स्थित आवास पर आज शाम अपने रणनीतिकारों के साथ सीट चयन पर अहम मीटिंग करेंगे. जेडीयू और बीजेपी में अभी कई सीटों पर लेकर टकराव भी हो सकता है क्योंकि राज्य में कई ऐसे सांसद है जो दूसरी पार्टी के लिए अपनी सीट छोड़ने को तैयार नहीं दिख रहे हैं.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी जेडीयू राज्य में सिर्फ दो सीटों पूर्णिया और नालंदा में ही जीत दर्ज कर पाई थी. पूर्णिया लोकसभा सीट पर जेडीयू की तरफ से संतोष कुशवाहा चुनाव जीत कर सांसद बने थे जबकि बीजेपी के क्षेत्र के कद्दावर नेता उदय सिंह मोदी लहर के बावजूद भी चुनाव हार गए थे. अब पूर्णिया सीट को लेकर पेंच फंस सकता है क्योंकि एक तरफ जहां संतोष कुशवाहा दोबारा पूर्णिया से चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक रहे हैं वहीं बीजेपी नेता उदय सिंह भी पूर्णिया सीट से ही चुनाव लड़ने पर अड़े हुए हैं. इस सीट पर सहमति नहीं बनने पर दोनों ही नेताओं के बागी हो जाने या फिर महागठबंधन में शामिल होने की संभावना ने सीमांचल की राजनीति को पहले से ही गर्म कर दिया है.
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बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बिहार में 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 22 पर जीत हासिल की थी, वहीं एलजेपी ने छह सीटें जीती थी और एक पर उसे हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने तीन सीटें जीती थी. आरएलएसपी अब राजद-कांग्रेस के महागठबंधन का हिस्सा है. 2014 में जनता दल (युनाइटेड) ने अकेले चुनाव लड़ा था और केवल दो सीटों पर ही जीत हासिल की थी.
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Source : News Nation Bureau