पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद उनके परिवार और पार्टी के अंदर सत्ता संघर्ष की शुरुआत हुई थी. एक तरफ राम विलास पासवान की पत्नी और पुत्र चिराग पासवान तो दूसरी तरफ उनके भाई पशुपति पारस अंततः पार्टी और परिवार दोनों टूट गए. राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी दो टुकड़ों और दो नाम में बंट गई. चिराग पासवान अकेले रह गए और पशुपति पारस पार्टी के सांसदों के साथ केंद्र सरकार का हिस्सा हो गए और केंद्र में मंत्री बन गए.
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चिराग पासवान ने खुद की तुलना उद्धव ठाकरे से की. चिराग को ये लगता है कि उद्धव ठाकरे की पीठ पर खंजर घोंपने का काम उनके अपनों ने ही किया. उद्धव ठाकरे के साथ आज जो एकनाथ शिंदे और उनके शिवसेना के विधायक कर रहे हैं, चिराग पासवान को अपने साथ घटी घटना याद आ गई. चिराग पासवान आज अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने हाजीपुर पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे के साथ जो हो रहा है, वही मेरे साथ भी हुआ था, जब मेरी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी को तोड़ने का काम करवाया गया था.
दूसरे या तीसरे पर आप उंगली नहीं उठा सकते, दोषारोपण नहीं कर सकते, क्योंकि आप उंगली उठाने के काबिल नहीं हैं. आपके अपनों ने ही आपका साथ छोड़ा. अगर मैं अपने बारे में भी कहूं तो लोग ये कहते थे कि मैं हनुमान और केंद्र में जिनको राम मानता हूं, उनसे मदद मांगूं, मैं किस मुंह से मदद मांगूं जब मेरे अपनों ने ही धोखा दिया. इसी तरीके से आप शिवसेना में देखें तो पीठ में खंजर घोपने का काम उनके अपनों ने किया.
ऐसे लोग जो बालासाहेब के समय से पार्टी संगठन से जुड़े रहे, एकनाथ शिंदे जो कुछ भी हैं शिवसेना की वजह से हैं ठाकरे परिवार की वजह से हैं और आज आपकों धोखा इन्हीं लोगों से मिला है. अब इसमें विरोधी अपनी रोटियां सेंक रहे हैं तो वो अपनी भूमिका निभा रहे हैं, गलती आपके तरफ से हुई. अगर आपके अपने आपसे अलग नहीं होते तो किसी को ये मौका नहीं मिलता.
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चिराग ने बीजेपी पर किया हमला
महाराष्ट्र में शिवसेना के बगावत को लेकर बीजेपी पर चिराग पासवान ने आरोप लगाया है. चिराग पासवान ने कहा कि बीजेपी लोकतंत्र को दबाने का काम कर रही है. कर्नाटक में जेडीएस को तोड़कर बीजेपी ने सरकार बनाई. मणिपुर, मध्यप्रदेश की चुनी हुई कमलनाथ सरकार को गिराकर बीजेपी ने अपनी सरकार बना ली. अब महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ तोड़ने का काम किया जा रहा है.
चिराग पासवान की भी स्थिति कमोबेश यही रही. चिराग की पार्टी और परिवार टूटा, चिराग उद्धव ठाकरे की तरह अकेले खड़े दिखे थे और चिराग के चाचा ने बीजेपी से दोस्ती कर ली, मगर उद्धव ठाकरे का पॉलिटिकल क्लाइमेक्स अभी बाकी है.