पूर्णिया का झंडा चौक अंतरराष्ट्रीय वाघा बॉर्डर के बाद देश की दूसरी ऐसी जगह है, जहां मध्य रात्रि में तिरंगा फहराया जाता है. यह परंपरा पिछले 71 वर्षों से जारी है. आजादी के वर्ष 1947 से लगातार हर साल पूर्णिया के भट्ठा बाजार स्थित झंडा चौक पर रात के 12 बजकर 01 मिनट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है.
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जानें आखिर क्या है इसके पीछे की कहानी
साल 1947 में जब घड़ी की सुई 12 बज कर 01 मिनट पर पहुंची, ठीक उसी समय भारत के आजादी की घोषणा रेडियो पर की गई. उसी समय पूर्णिया के स्वतंत्रता सेनानी और उनके दादा रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामरतन साह और शमशुल हक ने साथ मिलकर मध्य रात्रि में भट्ठा बाजार में झंडा फहराया था. उसी समय से हर साल यहां मध्य रात्रि में झंडा फहराने की परंपरा चली आ रही है.
शंखनाद करते हुए घरों से निकल आए थे लोग
14 अगस्त की मध्य रात्रि में जैसे ही भारत के स्वतंत्र गणराज्य की घोषणा की, पूर्णिया के लोग शंखनाद करते हुए घरों से निकल आए. जश्न का माहौल था. रात में झंडा चौक पर 12.01 मिनट पर झंडारोहण किया गया. उसके बाद से ही यह परंपरा लगातार चली आ रही है.
समाजेसवी सोनी सिंह कहते हैं कि झंडा चौक के एतिहासिक दृष्टिकोण को देखते हुए राजकीय दर्जा देने की मांग पूर्णिया के लोगों द्वारा लंबे समय से की जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध भी किया गया है, मध्य रात्रि में कार्यक्रम के दौरान शहर के सैकड़ों देशप्रेमी भी यहां पहुंचते हैं. राजकीय दर्जा मिलने से इस ऐतिहासिक स्थल की महत्ता और बढ़ जाएगी. बता दें पुरे देश में आजादी का जश्न 15 अगस्त को मनाया जाता है लेकिन पूर्णिया में आजादी के दिवाने अपनी ख़ुशी को मध्यरात्रि में मना कर, देश की आजादी के जश्न में शुमार होते हैं.
Source : निरंजन सिंह