नागरिकता कानून को लेकर देश के अलग- अलग हिस्से प्रदर्शन की आग में जल रहे हैं तो वहीं बिहार में कानून के विरोध को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं. बिहार में सीएए और एनआरसी के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हो रहा है. बता दें राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बिहार बंद का आह्वान किया. जिसका असर तड़के सुबह से दिखना शुरू हो गया है. प्रदर्शन की शुरूआत तेजस्वी यादव ने कल रात मशाल जलाकर अपने कार्यकर्ताओं के साथ रैली निकालकर की थी. सुबह से अररिया, हाजीपुर और दरभंगा की सड़कों पर आरजेडी कार्यकर्ता जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी ने यह बंद बुलाया है.
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बिहार बंद और आरजेडी कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन को देखते हुए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी यादव पर निशानेबाजी की. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव ने लखनऊ जाकर मायावती के पैर छुए थे, इसलिए उन्हें बसपा प्रमुख की तरह आश्वासन देना चाहिए कि बिहार बंद के दौरान यदि किसी प्रकार की हिंसा हुई, तो वे इससे खुद को अलग कर लेंगे. लोकतंत्र में किसी भी मुद्दे पर शांतिपूर्ण विरोध की अनुमति होती है, लेकिन हिंसा और तोड़फोड़ कतई बर्दास्त नहीं की जा सकती.
सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर तेजस्वी यादव से सवाल पूछे हैं. उन्होंने आगे लिखा है कि तेजस्वी प्रसाद यादव को यदि नागरिकता कानून का विरोध करना ही था, तो 19 दिसंबर के बंद से वे क्यों अलग रहे? क्या उन्हें डर था कि दूसरे दलों के ज्यादा पढ़े-लिखे नेता उनकी चमक फीकी कर देंगे?. केवल एक दिन के अंतर से दोबारा बिहार बंद कराने से गरीबों, मजदूरों और आम जनता को कितनी परेशानी होगी. इसकी फिक्र आरजेडी को क्यों नहीं है?
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बता दें तीसरे ट्वीट में सुशील कुमार मोदी लिखा है कि नागरिकता कानून से जब तीन मुसलिम देशों में प्रताड़ित हिंदू-सिख-ईसाई सहित छह धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है, तब यह कानून साम्प्रदायिक कैसे है?. यह कानून जब भारत के मुसलमानों पर बिना कोई असर डाले पड़ोसी देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को न्याय देने वाला है तो यह अल्पसंख्यक विरोधी कैसे है. साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि नागरिकता कानून का विरोध करने वाले दल केवल दुराग्रह और वोट बैंक के लिए तनाव फैला रहे हैं.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो