बाहुबली नेता और आरजेडी के पूर्ण सासंद मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद बिहार की राजनीति में हलचल पैदा हो गई है. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा का एक ट्वीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ जिसमें उन्होंने तेजस्वी यादव और आरजेडी को खूब खरी-खोटी सुनाई. हालांकि ट्वीट वायरल होने पर ओसामा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह ट्वीट किसी और ने वायरल किया है, इससे उनका कोई वास्ता नहीं है, यह फर्जी अकाउंट है. वहीं इस बारे में शहाबुद्दीन के परिवार के लोगों से जब पूछ गया कि क्या पूर्व सांसद हिना शहाब परिवार समेत आरजेडी से नाता तोड़ने वाली हैं. इस पर उन्होंने कहा कि फिलहाल परिवार सदमे में है, इसलिए इस संदर्भ में कुछ भी नहीं कहेंगे.
हालांकि जानकारों का कहना है कि जब तक शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब राजनीति में सक्रिय है तब तक ऐसी कम संभावना है कि वो आरजेडी से अपना नाता तोड़ें. दरअसल, शहाबुद्दीन के जेल जाने के बाद से हिना ही लालू परिवार से संबंध बरकरार रखी हुई हैं. लालू यादव या तेजस्वी यादव तक हिना शहाब की भी उतनी ही पहुंच है जितनी शहाबुद्दीन की हुआ करती थी.
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शहाबुद्दीन की मौत के बाद आरजेडी के दो अहम मुस्लिम चेहरे पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और बिहार विधान परिषद के सभापति रह चुके सलीम परवजे और पार्टी के तकनीकी प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मो. शोहराब कुरैशी ने इस्तीफा दे दिया है. इस घटना के कुछ ही देर बाद खबर आई कि जमानत पर रिहा हुए आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव वर्चुअल तरीके से आरजेडी नेताओं से बातचीत करने वाले हैं. इन नेताओं के इस्तीफा के बाद ही बिहार की राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है.
खबरों के मुताबिक, सलीम परवजे ने शहाबुद्दीन और उनके परिवार की उपेक्षा का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ा है. उन्होंने कहा कि शहाबुद्दीन उनके अच्छे मित्र और आरजेडी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. उनके आखिरी दिनों में पार्टी उनके साथ खड़ी नहीं रही, इसलिए वे पार्टी छोड़ रहे हैं.
लालू यादव, तेजस्वी यादव और उनके पूरे परिवार पर शहाबुद्दीन के परिवार का साथ नहीं देने का आरोप लग रहा है. इधर, एक चर्चा जोर पकड़ रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से नजदीकी बढ़ा रही है. हालांकि सिवान राजद ने पूर्व सांसद के परिवार के पार्टी के साथ होने का दावा किया है.
शहाबुद्दीन के परिवार वाले और उनके समर्थक चाहते थे कि उन्हें सिवान की धरती पर दफन किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. मरने के बाद भी शहाबुद्दीन को बिहार की धरती नसीब नहीं हुई. उन्हें दिल्ली के कब्रिस्तान में ही दफन कर दिया गया. इस घटना से शहाबुद्दीन के समर्थकों में आरजेडी और खासकर तेजस्वी यादव के प्रति काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है. उनका कहना है कि बिहार विधानसभा में सबसे मजबूत पार्टी के नेता होने के बावजूद तेजस्वी यादव अपने पिता लालू प्रसाद यादव के सबसे अच्छे मित्र और आरजेडी के संस्थापक सदस्य का शव सिवान की धरती पर लाने में नाकाम रहे.
जांच की उठी मांग
आरजेडी पूर्व सांसद और बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत की अब जांच की मांग उठने लगी है. बिहार में सत्ताधारी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पूर्व सांसद के मौत की न्यायिक जांच की मांग की है. पूर्व सांसद और बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन का शनिवार को दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सोमवार को अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह है कि सीवान के पूर्व सांसद सैयद शहाबुद्दीन मरहूम के निधन की न्यायिक जांच और उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाए." इससे पहले हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने शहाबुद्दीन की मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया था.
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गौरतलब है कि डॉन से राजनेता बने राजद के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का दिल्ली के एक अस्पताल में शनिवार को निधन हो गया था, जहां उनका कोविड का इलाज चल रहा था. 53 वर्षीय बिहार के बाहुबली नेता 2004 के दोहरे हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे थे. उन्हें 2018 में तिहाड़ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था.