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मोहन भागवत ने बताया- संघ की शाखाओं से स्वयंसेवकों को क्या मिलता है संस्कार 

बिहार की राजधानी पटना में स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने गुरुवार को कहा कि सेवा आत्मीयता की शुद्घ प्रेरणा से किया जाने वाला कार्य है.

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Deepak Pandey
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Mohan Bhagwat

आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत (Mohan Bhagwat)( Photo Credit : फाइल फोटो)

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बिहार की राजधानी पटना में स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने गुरुवार को कहा कि सेवा आत्मीयता की शुद्घ प्रेरणा से किया जाने वाला कार्य है. उन्होंने कहा कि पूरी मानवता को अपना कुटुंब मानकर ही सही सेवा कार्य किया जा सकता है. भागवत यहां डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति द्वारा बनाए जाने वाले सेवा सदन का भूमि पूजन करते हुए कहा कि सेवा कार्य में अपनापन का भाव होता है. यह स्वयंस्फूत्र्त भाव से किया जाता है. सेवा का उद्देश्य समाज को समर्थवान बनाना होना चाहिए, जिससे वह भी सेवा कार्य करने लायक बन सके.

बिहार के हर कोने से आने वाले मरीजों एवं परिजनों के ठहरने के लिए प्रारंभ किए जाने वाले सेवा सदन के शिलान्यास के बाद उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सेवा आत्मीयता की शुद्घ प्रेरणा से किया जाने वाला कार्य है. पूरी मानवता को अपना कुटुंब (परिवार) मानकर ही सही सेवा कार्य किया जा सकता है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा कार्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक पूरे समाज को अपना मानते हैं, यही संस्कार उन्हें संघ की शाखाओं से मिलता है. उन्होंने कहा कि समाज में जब भी विपत्ति आती है तो संघ के स्वयंसेवक स्वत: स्फूर्त भाव से सेवा कार्य में जुट जाते हैं. समाज का दु:ख देखकर स्वयंसेवक अपना दु:ख भूलकर सेवा के लिए तत्पर हो जाता है.

उन्होंने 17 जुलाई, 2000 को पटना में हुए विमान हादसे की चर्चा करते हुए बताया कि सुबह के समय जब विमान हादसा हुआ था, तो संघ के स्वयंसेवक शाखाओं से सीधे सेवा कार्य करने आ गए थे. पटना के फुलवारी स्थित केशव नगर में बनने वाले सेवा कार्य के महत्ता को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि मरीज और साथ में आने वाले परिजनों को चिकित्सा के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. उनकी समस्याओं व आवश्यकताओं की पूत्र्ति इस सेवा सदन से किया जा सकेगा.

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कोरोना काल में भारत में सेवा का अप्रतिम उदाहरण विश्व के सामने प्रस्तुत किया. भारत की शक्ति समाज है. समाज अगर शक्तिशाली रहा तो सभी विपत्तियों से लड़ा जा सकता है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रख्यात संत जीयर स्वामी ने कहा कि संघ की स्थापना का मूल ही सेवा है. सेवा ही सृष्टि की पहचान और निर्माण है. इसी सेवा से संकल्पित होकर डॉ. हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी। सेवा के बिना जीवन को उज्जवल बनाना संभव नहीं है. कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के सचिव मोहन सिंह ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन समिति के अध्यक्ष डॉ. पवन अग्रवाल ने किया.

Source : IANS

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