Chhapra Liquor Tragedy: बिहार में छपरा शराबकांड पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही. सड़क से शुरू हुआ मामला अब सदन तक पहुंच चुका है. बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र तो पूरी तरह इसी हंगामे की भेंट चढ़ गया लेकिन सत्र खत्म होने के बाद भी विपक्ष में बैठी बीजेपी मामले को भुनाने में जुटी है. विधानसभा के प्रांगण में बीजेपी ने एक बार फिर प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार से शराबकांड के मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की.
बीजेपी ने जहां सरकार को आड़े हाथ लिया तो वहीं सत्ता पक्ष भी पलटवार करने से पीछे नहीं रही. खुद सीएम नीतीश कुमार ने न्यूज़ स्टेट बिहार झारखंड से EXCLUSIVE बातचीत में बीजेपी पर करारा हमला बोला. सीएम नीतीश ने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों में अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा मौते होती हैं.
बता दें कि छपरा शराबकांड के बाद से ही एक तरफ जहां बिहार से लेकर दिल्ली तक सियासी हलचल तेज हो गई है. तो वहीं मामले पर हो रही सियासत में अब नया ट्विस्ट आ गया है और इसमें मानवाधिकार आयोग की भी एंट्री हो गयी है. केंद्र की ओर से आई टीम मृतकों के परिजनों से पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है और सत्तापक्ष इसको लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है.
कांग्रेस और RJD ने तो इसे सीधे तौर पर केंद्र की साजिश करार देते हुए मानवाधिकार की टीम को बीजेपी अधिकार की टीम बता दिया. साथ ही केंद्र से सवाल किया कि क्या संवैधानिक आयोग की टीम बीजेपी के इशारे पर चलेगी.
बहरहाल शराबकांड पर सियासी वार-पलटवार जारी है. सत्ता और विपक्ष आमने-सामने है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है लेकिन सियासी शोर के बीच पीड़ित परिजनों की गुहार कहीं अनसुनी ना हो जाए. क्योंकि शराबबंदी कानून जिस राज्य में लागू हो और वहां पर अगर आए दिन अवैध शराब बरामद होने की खबरें निकलकर सामने आ रही हों, ट्रक के ट्रक शराब बरामद हो रहे हों तो सवाल सरकार पर ही खड़े होंगे.