महात्मा गांधी ने भारत देश के निर्माण में राज्य व्यवस्थाओं में शक्तियों का निर्धारण पंचायती राज्य व्यवस्था को लेकर किया था, जिसमें शक्तियों का प्रसार नीचे से उपर की ओर हो. बिहार में भी इसी तर्ज पर गांवों कस्बों में इसी पंचायती व्यवस्था का राज दिखता है, लेकिन ये व्यवस्था भी अब खत्म होने के कगार पर है. बिहार में जहां दफादार और चौकीदार अपनी मांगों को लेकर एक, दो, तीन... नहीं बल्की पिछले 27 सालों से संघर्ष कर रहे है. इन दफादारों-चौकीदारों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है. 27 साल के संघर्ष पर किसी पार्टी या सत्ता ने इनकी सुधि नहीं ली. मजबूरन इस ठिठुरन भरी ठंड में अपनी मांग लेकर इन्हें सड़क पर आना पड़ा है. अब शायद सियासत के कोई रहनुमा इनकी बात को सुन ले या फिर शायद किसी अधिकारी की नजर इन संघर्षकारियों के वर्तमान प्रदर्शन को देखकर भविष्य की लकीरें खींच दे. 'मुद्दा आपका' में आज यही सवाल उठाया गया कि आखिर दफादार-चौकीदार से बेरुखी क्यों ?
'मुद्दा आपका' में बीजेपी प्रवक्ता मनीष पांडे, जेडीयू प्रवक्ता अनुप्रिया, बिहार राज्य चौकीदार दफादार पंचायत अध्यक्ष संत सिंह ने अपना-अपना पक्ष रखा. इस दौरान कार्यक्रम को होस्ट संजय यादव ने जिम्मेदारों से जमकर कड़वे व तीके सवाल पूछे और उन्हें दफादारों और चौकीदारों की पीड़ा से रूबरू कराया. डिबेट के दौरान जेडीयू और बीजेपी एक दूसरे पर दफादारों और चौकीदारों के इस हालात के लिए जिम्मेदार ठहराते नजर आए.
बिहार के दफादारों और चौकीदारों का गुस्सा सरकार के खिलाफ फूट पड़ा है और आज पटना के गर्दनीबाग में बिहार राज्य दफादार चौकीदार पंचायत के तत्वाधान में धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया है. धरना प्रदर्शन कर रहे बिहार राज्य दफादार चौकीदार पंचायत की मांग है कि सरकार पूर्व सेवानिवृत्त दफादारों और चौकीदारों के आश्रितों की बहाली करे और बैंक में उनकी ड्यूटी ना लगाई जाए. साथ ही डाक विभाग में ड्यूटी ना लगाने और कैदी एस्कॉर्ट में भी उनकी ड्यूटी ना लगाने की मांग कर रहे हैं.