छपरा शराब कांड पर सियासत जारी है. सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, दोनों ही आंकड़ों का खेल खेल रहे हैं. दोनों एक दूसरे को गलत साबित करने के लिए हर दिन नए-नए आंकड़े लेकर सामने आ रहे हैं. आंकड़ों से ही जवाब दे रहे हैं, लेकिन शायद इस खेल में बिहार सरकार फंस गई है. जुबानी जंग इस कदर बढ़ी की विधानसभा सत्र इसकी भेट चढ़ गया. विपक्ष ने जहां सरकार से इस्तीफे की बात कह दी. तो वहीं सत्ता पक्ष ने भी जमकर जवाबी हमला किया.
सरकार ने विपक्ष पर हमला करते सवाल किया है. क्या इससे पहले शराब से मौतें नहीं हुई है ? क्या शराबबंदी का फैसला आपसी सहमति से नहीं लिया गया था ? क्यों इस बात का मुद्दा बनाया जा रहा है? खैर सवाल तो बहुत है. और उस पर राजनीति करने के लिए मौका भी बहुत है. लेकिन बात क्या शराबबंदी को लेकर होनी थी ? क्या जहरीले शराब से हुई मौत पर बात नहीं होनी चाहिए थी? लेकिन बात सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति की हो रही है. इन्ही आरोपों के खेल में सरकार और विपक्ष आपस में भिड़ गई. 73 मौतों पर परिवार के साथ सहानूभूति रखने वाला कोई नहीं है. इस दर्द का कोई हमदर्द नहीं है ऐसे में ये कहना कहा गलत होगा कि ये सियासत का बेशर्म दुप्पटा है. जो किसी के भी आंसू से नम नहीं होता.
BJP शासित राज्यों में शराब से मरते हैं ज्यादा लोग: नीतीश कुमार
बिहार में छपरा शराबकांड पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही. सड़क से शुरू हुआ मामला अब सदन तक पहुंच चुका है. बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र तो पूरी तरह इसी हंगामे की भेंट चढ़ गया लेकिन सत्र खत्म होने के बाद भी विपक्ष में बैठी बीजेपी मामले को भुनाने में जुटी है. विधानसभा के प्रांगण में बीजेपी ने एक बार फिर प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार से शराबकांड के मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की.
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बीजेपी ने जहां सरकार को आड़े हाथ लिया तो वहीं सत्ता पक्ष भी पलटवार करने से पीछे नहीं रही. खुद सीएम नीतीश कुमार ने न्यूज़ स्टेट बिहार झारखंड से EXCLUSIVE बातचीत में बीजेपी पर करारा हमला बोला. सीएम नीतीश ने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों में अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा मौते होती हैं.
बता दें कि छपरा शराबकांड के बाद से ही एक तरफ जहां बिहार से लेकर दिल्ली तक सियासी हलचल तेज हो गई है. तो वहीं मामले पर हो रही सियासत में अब नया ट्विस्ट आ गया है और इसमें मानवाधिकार आयोग की भी एंट्री हो गयी है. केंद्र की ओर से आई टीम मृतकों के परिजनों से पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है और सत्तापक्ष इसको लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है.
कांग्रेस और RJD ने तो इसे सीधे तौर पर केंद्र की साजिश करार देते हुए मानवाधिकार की टीम को बीजेपी अधिकार की टीम बता दिया. साथ ही केंद्र से सवाल किया कि क्या संवैधानिक आयोग की टीम बीजेपी के इशारे पर चलेगी.
बहरहाल शराबकांड पर सियासी वार-पलटवार जारी है. सत्ता और विपक्ष आमने-सामने है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है लेकिन सियासी शोर के बीच पीड़ित परिजनों की गुहार कहीं अनसुनी ना हो जाए. क्योंकि शराबबंदी कानून जिस राज्य में लागू हो और वहां पर अगर आए दिन अवैध शराब बरामद होने की खबरें निकलकर सामने आ रही हों, ट्रक के ट्रक शराब बरामद हो रहे हों तो सवाल सरकार पर ही खड़े होंगे.
HIGHLIGHTS
- शराबबंदी पर लड़ाई, सरकार पर बात आई
- विधानसभा सत्र शराबकांड की भेंट चढ़ा
- बिहार में शराबबंदी पर उठ रहे सवाल
- क्या शराबकांड में फंस गई सरकार?
Source : News State Bihar Jharkhand