बिहार में किसी भी सरकार को बनाने और बिगाड़ने में जातीय समीकरण अहम रोल अदा करती है. हर पार्टी का अपना एक जातीय वोट बैंक है और वह उसे लुभाने के पार्टियां लिए कोई कसर नहीं छोड़ती है. इस बीच प्रदेश के दो दिग्गज नेता आमने-सामने आ चुके हैं. दरअसल, बिहार के नवादा में रातोंरात कुछ दबंगों ने दलित बस्ती को आग के हवाले कर दिया था. जिसमें कई घर जलकर खाक हो गए थे.
ऊ मुसहर है क्या?
वहीं, इस पर प्रदेश में जमकर राजनीति भी हुई. केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इस हादसे के बाद बड़ा बयान देते हुए कहा था कि इसमें यादवों का हाथ है. इतना ही नहीं मांझी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट कर लिखा था कि विपक्षी दलों के गुंडे हमारे घर-दरवाजे तोड़ सकते हैं, लेकिन हमारा हौसला कोई नहीं तोड़ सकता. इसके साथ ही उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को गरेड़ी बता दिया था और कहा था कि लालू जी राजनीति के लिए अपनी जाति छिपा सकते हैं, लेकिन हम नहीं.
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मुसहर और गरेड़ी के लेकर शुरू हुई सियासी बयानबाजी
इस पर जब लालू यादव से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि क्या जीतन राम मांझी मुसहर हैं? लालू के इस जवाब पर पलटवार करते हुए मांझी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ' लालू जी, हम मुसहर-भुईयां हैं,हमारे पिता मुसहर-भुईयां थें,हमारे दादा मुसहर-भुईयां थें,हमारे परदादा मुसहर-भुईयां थें,हमारा तो पुरा खानदान ही मुसहर-भुईयां है।
और हम तो गर्व से कहतें हैं कि “हम मुसहर,भुईयां हैं”.'
पीएम मोदी की संगत में आकर मांझी दे रहे हैं ऐसा बयान
वहीं, अब इस बयानबाजी के बीच आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मांझी पीएम नरेंद्र मोदी की संगत में आकर ऐसा बयान दे रहे हैं. मांझी भी अब उन्हीं की भाषा बोलने लगे हैं. लालू यादव 90 के दशक के नेता हैं और वह सामाजिक न्याय के लिए दलितों पिछड़ों की आवाज बने. आज अगर जीतन राम मांझी केंद्रीय मंत्री बने हैं तो यह उसी का नतीजा है. अब इस पर लालू यादव की क्या प्रतिक्रिया आती है, यह देखने वाली बात होगी. बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है.