बिहार के मुजफ्फरपुर जिले सहित करीब 20 जिलों में एक्यूट इंसेलाइटिस सिंड्रोम (AES) या चमकी बुखार से 150 से ज्यादा बच्चों की मौत का मुख्य कारण कुपोषण और गरीबी माना जा रहा है. इन बच्चों की मौत के बाद सरकार अब बच्चों को कुपोषण से निजात दिलाने के लिए अभियान शुरू करने जा रही है. समाज कल्याण विभाग के तहत कार्यरत समेकित बाल विकास सेवाएं (आइसीडीएस) निदेशलय को और मजबूत कर सभी 38 जिलों के सभी 534 प्रखंडों में पोषण अभियान को जरूरतमंदों तक पहुंचाने का निर्णय लिया है.
यह भी पढ़ें: जिनके बच्चों की चमकी बुखार से मौत हुई पुलिस ने उन्हीं के खिलाफ मामला दर्ज किया
निदेशालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि बिहार में पोषण अभियान को गति देने के लिए प्रखंड समन्वयक तैनात होंगे. इनके साथ ही प्रखंड परियोजना सहायक भी नियुक्त किए जाएंगे. अधिकारी का कहना है कि प्रत्येक केंद्र में एक सेलफोन दिया जाएगा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपनी रोज की गतिविधियों को रजिस्टर पर खनापूर्ति करने के बजाय एप में अपलोड करना होगा. सेलफोन जियो टैग्ड होगा, इसके नए सिस्टम के जरिए आंगनबाड़ी सेंटरों के खुले या बंद होने का पता लगाना आसान होगा. दरअसल आरोप है कि बिहार के कई जिलों में आंगनबाड़ी केंद्र महीने में 10 दिन काम नहीं करते. ऐसे में उनके लिए नए सिस्टम को शुरू किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें: चमकी बुखार से बच्चों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और राज्य सरकार से 7 दिनों में मांगा जवाब
वहीं समेकित बाल विकास परियोजना निदेशालय के निदेशक आलोक कुमार कहते हैं कि एप के जरिए न केवल केंद्रों की निगरानी की जा सकेगी बल्कि बच्चे की वृद्धि की भी जांच की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि निदेशालय की योजना कुपोषण के विरुद्ध जन जागरूकता का प्रसार करना है और छह वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण की दर को वर्तमान की 38.4 फीसदी से 2022 तक 25 फीसदी पर लाने की योजना है.