बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में दिल्ली के साकेत कोर्ट से फैसला अब अगले साल 14 जनवरी को आएगा. पहले आज यानी गुरुवार को इस केस में फैसला आना था, लेकिन संबंधित न्यायाधीश की अनुपलब्धता के कारण इसे टाल दिया गया. बृजेश ठाकुर इस मामले का मुख्य आरोपी है. उसके साथ कुल 20 आरोपियों पर इस मामले में पॉक्सो समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मामले में अधिकांश आरोपी मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में काम करने वाले कर्मचारी और सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी हैं.
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पिछले साल फरवरी, 2018 में तब हुई जब टाटा इंस्टीट्यूट सोशल साइंस की टीम द्वारा मुजफ्फरपुर शेल्टर होम को लेकर दी गयी ऑडिट रिपोर्ट में इस मामले का खुलासा हुआ था. ऑडिट रिपोर्ट बिहार के समाज कल्याण विभाग को दी गई. ऑडिट रिपोर्ट के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया था. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की बच्चियों को पटना और मोकामा के साथ अन्य बालिका गृह में शिफ्ट किया गया था. साथ ही इस मामले में मुकदमा भी दर्ज किया गया था.
बाद में मेडिकल रिपोर्ट में 42 में से 34 बच्चियों से रेप की पुष्टि हुई थी. बृजेश ठाकुर पर राजनीतिक संपर्क का इस्तेमाल कर लड़कियों का शोषण करने और कराने का आरोप लगा था. पिछले साल जुलाई में सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. मामले ने तूल पकड़ा तो सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद इस मामले को बिहार से दिल्ली ट्रांसफर किया गया. साकेत कोर्ट में 23 फरवरी से इस मामले की नियमित सुनवाई चल रही थी. साकेत कोर्ट ने इस पूरे मामले की सितंबर माह में सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना आदेश सुरक्षित रखा था.
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साकेत कोर्ट में सुनवाई के दौरान उत्पीड़न की शिकार बच्चियों के बयान भी दर्ज करवाए गए. सभी लड़कियों को कड़ी सुरक्षा में दिल्ली बुलाया गया था, ताकि वह बिना किसी दबाव में जज के सामने बयान दे सकें. पूरे मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मीडिया में इसे लेकर जानकारी साझा नहीं की गई थी.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो