बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में आंखों के एक अस्पताल की लापरवाही के कारण 27 लोगों की आंखों की रोशनी चली है. 16 लोगों की आंखें निकालनी पड़ी. इन लोगों ने अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था. मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया. स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए अस्पताल को सीज कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी गई है. अस्पताल में भर्ती मरीजों को दूसरे अस्पताल शिफ्ट कराया गया है. एक संस्था के जरिए संचालित मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में सभी का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था.
NHRC ने भेजा सरकार को नोटिस
मामला सामने आने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बिहार सरकार को नोटिस भेजा है. एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि उसने मीडिया में आई एक खबर पर स्वत: संज्ञान लिया है कि 22 नवंबर को मुजफ्फरपुर नेत्र अस्पताल में हुई मोतियाबिंद सर्जरी के बाद 'श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में मरीजों की आंखें निकालनी पड़ीं.’ बयान में कहा गया है यदि मीडिया में आईं खबरें सही हैं तो यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक गंभीर मुद्दा है. आयोग ने कहा, 'चिकित्सा नियमों के अनुसार एक डॉक्टर अधिकतम 12 सर्जरी कर सकता है, लेकिन इस मामले में डॉक्टर ने 65 मरीजों की सर्जरी की. इस तरह चिकित्सा नियमों का उल्लंघन कर लापरवाह तरीके से आंखों की सर्जरी करना गंभीर चिंता का मामला है. आयोग ने बिहार सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
अस्पताल प्रबंधन पर केस
मामले में अस्पताल प्रबंधन पर बुधवार देर शाम प्राथमिकी दर्ज कर ली गई. सिविल सर्जन (CS) और एडिशनल चीफ मेडिकल ऑफिसर (ACMO) ने संयुक्त रूप से आई हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही से अब तक 16 लोगों के आंख की रोशनी जाने को लेकर नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है. सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा ने ACMO के नेतृत्व में जांच टीम का गठन कर तीन दिनों में जाच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश जारी किया. वहीं पीड़ित मरीजों को SKMCH में इलाज कराने की व्यवस्था भी की गई.
Source : News Nation Bureau