NEET Paper Leak: नीट पेपर लीक मामले में सीबीआई ने गुरुवार को पहली चार्जशीट दायर की है. इस आरोप पत्र में चार उम्मीदवारों, एक जूनियर इंजीनियर और ऑपरेशन के पीछे के दो मास्टरमाइंड सहित 13 व्यक्तियों के नाम शामिल हैं. जिसमें अमित आनंद, आशुतोष कुमार, नीतीश कुमार, सिकंदर यादवेंदु, मनीष प्रकाश, अखिलेश कुमार, रोशन कुमार, आशुतोष कुमार, शिवनंदन कुमार, अनुराग यादव, अभिषेक कुमार, अनुराग यादव, आयुष राज और अवधेश कुमार का नाम शामिल हैं.
सीबीआई ने दायर की पहली चार्जशीट
आपको बता दें कि 5 मई को नीट परीक्षा का आयोजन किया गया था. इसमें करीब 24 लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था. वहीं, परीक्षा के दिन ही बिहार पुलिस ने एग्जाम सेंटर पर जाकर अभ्यर्थियों के समेत कुल 13 लोगों को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया था. जिसके बाद पुरे देश में परीक्षा में पेपर लीक को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन किया गया और रीएग्जाम की मांग की गई. बावजूद इसके एनटीए ने रिजल्ट की घोषणा कर दी. जिसके बाद ग्रेस मार्क्स का भी मामला सामने आया. इसे लेकर देशभर से कई छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
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नीतीश कुमार, अमित आनंद को बताया मुख्य सूत्रधार
इस बीच शिक्षा मंत्री ने परीक्षा में हुए घोटाले को मानते हुए इसके जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी. वहीं, बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के साथ ही दोबारा परीक्षा की मांग की गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कोई प्रणालीगत उल्लंघन नहीं होने का हवाला देते हुए इसके खिलाफ फैसला सुनाया. चार्जशीट में नीतीश कुमार, अमित आनंद और सिकंदर यादवेन्दु की पहचान लीक के मुख्य सूत्रधार के रूप में की गई है. आरोपियों ने प्रति छात्र 30-32 लाख रुपये पेपर के लिए वसूले. इनके जिन चार अभ्यर्थियों का नाम सामने आया है, उनमें आयुष कुमार, अनुराग यादव, अभिषेक कुमार और शिवनंदन कुमार शामिल हैं.
24 लाख अभ्यर्थियों ने एग्जाम में लिया था हिस्सा
जांच में यह भी सामने आया है कि यादवेंदु ने कथित तौर पर कुमार और आनंद को उन चार छात्रों के बारे में सूचित किया, जो लीक हुए पेपर के लिए भुगतान करने को तैयार हैं. परीक्षा से एक रात पहले यानी 4 मई को इन छात्रों को लीक हुए प्रश्न दिए गए और उन्हें उत्तर याद करने के निर्देश दिए गए.
अब तक 40 लोग हो चुके हैं गिरफ्तार
सीबीआई ने इस घोटाले के सिलसिले में पहले ही 40 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनमें से 15 को बिहार पुलिस ने हिरासत में लिया है और 58 स्थानों पर छापेमारी कर चुकी है. आपको बता दें कि प्रारंभिक जांच 5 मई को पटना पुलिस द्वारा दर्ज मामले से शुरू हुई, जिसे बाद में 23 जून को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया. पहली चार्जशीट 38 दिनों के भीतर दायर की गई थी.