रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह को जनता दल यूनाइटेड (JDU) का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. अभी हाल के दिनों में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जनता दल यूनाइटेड के खराब प्रदर्शन के अलावा कुछ दिनों पहले अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के 6 विधायकों का बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद रविवार को पटना में जनता दल यूनाइटेड की कार्यकारिणी बैठक हुई जिसमें मुख्यमंत्री और पूर्व अध्यक्ष नीतीश कुमार ने JDU से राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह को पार्टी की कमान सौंपते हुए उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का ऐलान कर दिया. आपको बता दें कि इसके पहले साल 2016 में शरद यादव के JDU राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटने के बाद से नीतीश कुमार ही पार्टी के अध्यक्ष रहने के साथ-साथ मुख्यमंत्री के पद पर भी बने हुए थे.
कौन हैं आरसीपी सिंह
सबसे पहले आपको आरसीपी सिंह के बारे में अवगत करा दें, आरसीपी सिंह मौजूदा समय JDU के राज्यसभा सांसद हैं. मूल रूप से नालंदा के रहने वाले आरसीपी सिंह ओबीसी समुदाय से हैं वो कुर्मी जाति से आते हैं आपको बता दें कि नीतीश कुमार भी इसी समुदाय से हैं और नालंदा के ही रहने वाले हैं. 62 वर्षीय आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार का बेहद करीबियों में से एक माना जाता है. पार्टी में नीतीश कुमार के बाद नंबर - 2 का दर्जा उनको ही हासिल है. इसके पहले वो जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव थे. आपको बता दें कि आरसीपी सिंह राजनीति में आने से पहले उत्तर प्रदेश काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी रह चुके हैं.
ऐसे बढ़ीं नीतीश कुमार से नजदीकियां
साल 1996 में जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्री थे तभी उनकी नजर उत्तर प्रदेश के आईएएस ऑफीसर पर पड़ी उस समय आरसीपी सिंह तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव के तौर पर काम कर रहे थे. इसके बाद अटल सरकार में ही एक बार फिर जब नीतीश केंद्रीय मंत्री (रेलमंत्री) बने तब उन्होंने आरसीपी सिंह को अपना विशेष सचिव बनाया. इसके बाद साल 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जब नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने आरसीपी सिंह को दिल्ली से बिहार बुला लिया. इसके बाद साल 2005 से लेकर साल 2010 के बीच आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के प्रधान सचिव के तौर पर काम करते रहे इसी दौरान आरसीपी सिंह ने पार्टी में अपनी ग्रिप मजबूत की. आरसीपी सिंह ने साल 2010 में समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था.
साल 2015 में आरसीपी सिंह भी हाशिए पर चले गए
नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को साल 2010 में ही राज्यसभा भेज दिया था. साल 2015 में एक समय ऐसा भी आया था जब आरसीपी सिंह भी पार्टी के हाशिए पर चले गए थे. साल 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के आने के बाद उनकी थोड़ी अनदेखी होने लगी थी. क्योंकि इस चुनाव में महागठबंधन बनाने के लिए आरजेडी और जेडीयू को साथ लाने में प्रशांत किशोर की बड़ी भूमिका रही. हालांकि, 2016 में नीतीश कुमार ने दोबारा आरसीपी सिंह पर भरोसा जताया और उन्हें एक बार फिर से राज्यसभा भेजा. साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार और पीके के बीच में मनमुटाव होने लगा जिसके बाद पीके को जेडीयू से बाहर कर दिया गया.इसके बाद एक बार फिर से आरसीपी सिंह की पार्टी पर पकड़ मजबूत होने लगी.
Source : News Nation Bureau