बिहार के गया जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ उठते सवालों को और मजबूत किया है. एनआईए के डीएसपी अजय प्रताप सिंह को सीबीआई ने 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया. इस गिरफ्तारी के साथ ही उनके दो एजेंट भी पकड़े गए, जो इस घिनौने खेल में शामिल थे.
रॉकी यादव की शिकायत
इस कार्रवाई की शुरुआत रमैया कंस्ट्रक्शन के मालिक रॉकी यादव की शिकायत से हुई. रॉकी यादव पर नक्सलियों को सहायता पहुंचाने और अवैध हथियारों की आपूर्ति करने का आरोप था. एनआईए इस मामले की जांच कर रही थी, जिसके तहत 19 सितंबर को उनके घर और कार्यालय पर छापेमारी की गई थी. इस छापेमारी में 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी और 10 अवैध हथियार बरामद हुए थे.
रिश्वत की मांग का खुलासा
आरोप है कि इस मामले में डीएसपी अजय प्रताप सिंह ने रॉकी यादव से 2.5 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी, ताकि वह उन्हें जांच से राहत दिला सकें. पहले चरण में 20 लाख रुपये की राशि की मांग की गई थी. डीएसपी ने अपने दो एजेंटों के माध्यम से यह रिश्वत लेने का काम किया. रॉकी को धमकी दी गई कि यदि वह यह रकम नहीं देंगे, तो उन्हें और उनके परिवार को झूठे मामलों में फंसा दिया जाएगा.
सीबीआई की कार्रवाई
सीबीआई ने इस पूरी कार्रवाई को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया. डीएसपी अजय प्रताप सिंह को उनके एजेंटों के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया. इसके बाद सीबीआई ने पटना, वाराणसी और गया में कई स्थानों पर छापेमारी की, जहां से कई अहम दस्तावेज बरामद किए गए हैं.
पैसे मांगने की स्वीकृति
सीबीआई के अधिकारियों के अनुसार, डीएसपी ने पूछताछ के दौरान यह स्वीकार किया कि उन्होंने रॉकी यादव से पैसे मांगे थे और उन्हें धमकी भी दी थी. यह मामला न केवल रिश्वतखोरी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कार्रवाई है, बल्कि यह समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी उजागर करता है.
भविष्य की जांच
फिलहाल, इस मामले की जांच जारी है और सीबीआई आगे की कार्रवाई में जुटी है. यह मामला एक उदाहरण है कि कैसे भ्रष्टाचार का ताना-बाना कभी-कभी शीर्ष स्तर पर भी फैला होता है. क्या यह गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश देगी? यह देखना दिलचस्प होगा.