आरोप-प्रत्यारोप के तीखे दौर के बीच बिहार में नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल का बहुत जल्द विस्तार हो सकता है. हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार में किसी मुस्लिम नेता को मंत्री बनाया जाएगा या नहीं ये लाख टके का सवाल है. सवाल की वजह भी है, इस बार एनडीए का एक भी मुस्लिम विधायक जीत कर नहीं आए हैं. भाजपा ने जहां एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था तो वही जदयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. यह अलग बात है कि एक भी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत नहीं पाया. यही कारण रहा कि नीतीश मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में किसी भी मुस्लिम को जगह नहीं मिल पाई. नीतीश कुमार के पिछले मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के तौर पर ख़ुर्शीद आलम मंत्री थे, लेकिन इस बार उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा.
जदयू के पांच मु्स्लिम एमएलसी
ऐसे में अब जब फिर से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि दिसंबर में कभी भी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. इसमें किसी मुस्लिम को मंत्रिमंडल में शामिल नीतीश कुमार कर सकते हैं. गौरतलब है कि जदयू में इस वक़्त पांच मुस्लिम एमएलसी हैं. ग़ुलाम रसूल बलियावी, राजद से जदयू में आए कमरे आलम, ग़ुलाम गौस, तनवीर अख़्त और ख़ालिद अनवर. चर्चा है कि इन्हीं पांच में से किन्हीं को नीतीश कुमार मंत्री बना सकते हैं. हालांकि एक नाम की चर्चा और भी बहुत तेज है और वह हैं बसपा से एक मात्र चुनाव जीते जमा खान.
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बसपा के जमा खान पर भी नजर
सूत्र ये भी बताते हैं कि जमा खान की मुलाक़ात नीतीश कुमार से भी हो चुकी है और जमा खान को मंत्री बनाने का आश्वासन भी मिला है. हालांकि अंदरखाने के जानकार बताते हैं कि शर्त यही है कि पहले जमा खान जदयू में शामिल हो जाएं. जमा खान अपने लिए कोई अच्छा मंत्री पद मांग रहे हैं. सूत्र बताते है कि उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाने का ऑफ़र मिल रहा है, जिसे लेने से हिचक रहे हैं. सूत्र ये भी बताते हैं कि इस मुद्दे पर भी उनकी बात जदयू आलाकमान से चल रही है.
राजद पर भी नजर
दरअसल जदयू के लिए ये चुनाव बहुत बड़ा झटका लेकर आया है. सीटों की संख्या तो कम हो ही गई है उम्मीद के मुताबिक़ मुस्लिम वोट नहीं मिलना भी बड़ा झटका है. सियासी जानकार बताते हैं कि इसके बावजूद नीतीश कुमार किसी मुस्लिम को मंत्री बना कर मुस्लिम वोटर को बड़ा मैसेज देने की कोशिश कर सकते हैं. राजनीतिक हलकों में चर्चा ये भी है कि राजद के वरिष्ठ नेता और बड़े मुस्लिम चेहरे अब्दुल बारी सिद्दीक़ी पर भी जदयू आलाकमान की नज़र है जो इस बार विधानसभा चुनाव हार गए हैं.
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अब्दुल बारी सिद्दीकी आ सकते हैं
बताया जाता है कि सिद्दीक़ी अपनी हार के लिए राजद के ही कुछ नेताओं को दोषी बता रहे हैं, लेकिन सिद्दीक़ी राजद छोड़ सकते हैं, इस सवाल पर फ़िलहाल वे कुछ नहीं बोल रहे. जदयू के सूत्र बताते हैं कि जदयू लगातार इस कोशिश में हैं कि सिद्दीक़ी जदयू में आ जाएं और एमएलसी बना उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है, ताकि ना सिर्फ़ राजद को झटका दिया जाए बल्कि सिद्दीक़ी को बड़े मुस्लिम चेहरे के तौर पर बढ़ाया जाए. इसके पहले सिद्दीक़ी को जदयू में आने का ऑफ़र मिल चुका है लेकिन तब सिद्दीक़ी ने ऑफ़र ठुकरा दिया था. हालांकि अब हालात काफ़ी बदल चुके हैं.