बिहार में जारी सियासी उठापटक के बीच जदयू के तरफ से भाजपा के खिलाफ बयानबाजी और ऑफ द रिकॉर्ड मीडिया ब्रीफिंग का दौर शुरू हो गया है. इस बीच जेडीयू के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर पार्टी का पूरा दर्द बयां कर दिया. इस नेता बताया कि भाजपा ने जेडीयू को गठबंधन तोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है. इस नेता का कहना है कि भाजपा ने बिहार में जेडीयू को इस स्तर पर ला दिया है, जहां उनके पास भाजपा से गठबंधन तोड़ने के अलावा कोई और चारा नहीं है. इस नेता ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेतृत्व ने नीतीश कुमार सरकार को तोड़फोड़ करने के लिए एकनाथ शिंदे योजना को बिहार में भी सक्रिय कर दिया था. लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वक्त रहते इस पूरे खेल को बदल दिया.
पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर एक समाचार एजेंसी के संवाददाता को बताया कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार और जदयू को 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग मॉडल के साथ निशाना बनाया गया था. नतीजतन, पार्टी को केवल 43 सीटें मिलीं. यानी चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने एनडीए के बाहर चुनाव कैसे लड़ा, वो भी केवल उन्हीं सीटों पर जहां जदयू चुनाव लड़ रही थी. जेडीयू के इस नेता के अनुसार, इस बार चिराग मॉडल को आरसीपी सिंह के माध्यम से सक्रिय किया गया था. भगवा पार्टी चाहती थी कि आरसीपी सिंह जदयू में रहें और एकनाथ शिंदे की तरह काम करें. चिराग मॉडल के बारे में ललन सिंह का बयान वास्तव में एकनाथ शिंदे था. हर कोई जानता है कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को हटाने की साजिश के पीछे कौन था.
ये भी पढ़ेंः भैंसासुर बनकर घास-भूसा खाने वाले शख्स का हैरान करने वाला Video Viral
नीतीश कुमार ने चतुराई से बिहार की स्थिति का आकलन किया और वह आरसीपी सिंह की गतिविधियों को बारीकी से देख रहे थे. जब उन्हें लगा कि अब समय आ गया है, तो उन्होंने जदयू के प्रदेश अध्यक्ष को आरसीपी सिंह को नोटिस देने के लिए कहा और कहा कि पिछले 9 वर्षो में उनके और उनके परिवार द्वारा प्राप्त 40 बीघा भूमि को स्पष्ट करें. इसके बाद आरसीपी सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और नीतीश कुमार और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के खिलाफ सनसनीखेज आरोप लगाए. उन्होंने यहां तक दावा किया कि जदयू एक डूबता हुआ जहाज है. उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार ने खतरे को महसूस किया और दो मोर्चों पर सर्जिकल ऑपरेशन शुरू किया. उन्होंने ललन सिंह को आरसीपी सिंह के हर एक हमदर्द को पार्टी से बाहर निकालने या संगठनात्मक ढांचे में जिम्मेदारी लेने का पूरा अधिकार दिया था. संगठन में कई नेता नीतीश कुमार के वफादार बन गए.
गौरतलब है कि आरसीपी सिंह 1998 में नीतीश कुमार के साथ निजी सचिव के रूप में जुड़े थे. उस समय नीतीश कुमार रेल मंत्री थे और उनके साथ दो दर्जन अधिकारी जुड़े हुए थे. इसका मतलब यह नहीं है कि वह जदयू) के नेता थे. वह 2010 में जदयू) के नेता बने, जब नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा भेजा था.
Source : News Nation Bureau