ऐसा लग रहा है कि बिहार में आने वाले दिनों में राजनीति करवट ले सकती है। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी नेताओं को मकर संक्रांति के अवसर पर दही-चूड़ा खाने का न्योता दिया है। इसके पहले भी नीतीश कुमार नोटबंदी के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई बार तारीफ कर चुके हैं।
हाल के दिनों में हुए ताजा घटनाक्रम से ऐसा लग रहा है कि बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच नज़दीकियां बढ़ी हैं। नोटबंदी को लेकर नीतीश कुमार कई बार पीएम मोदी के समर्थन में खुलकर बोलते नज़र आए हैं। तो वहीं पीएम मोदी भी 5 जनवरी को पटना में आयोजित गुरु गोविंद सिंह प्रकाशोत्सव दिवस पर शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार की तारीफ कर चुके हैं। ऐसे में इस आमंत्रण के बहुत सारे राजनीतिक मायने भी हैं।
गुरुवार को पटना में भोज के आयोजक और बिहार जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इसकी घोषणा की। सिंह के अनुसार इस साल बीजेपी नेताओं को भी निमंत्रण भेजा जा रहा है। ज़ाहिर है यह घोषणा नीतीश की सहमति के बिना मुमकिन नहीं है।
हालांकि बिहार बीजेपी के अध्यक्ष नित्यानंद रॉय ने अभी तक ये स्पष्ट नहीं किया है कि वो भोज में शामिल होंगे की नहीं। नित्यानंद रॉय का कहना है कि उन्हें अब तक अधिकारिक रूप से कोई निमंत्रण नहीं मिला है। मीडिया के माध्यम से ही उन्हें अभी जानकारी मिली है, इसलिए निमंत्रंण मिलने के बाद ही शामिल होने का फैसला लिया जाएगा।
ज़ाहिर है कि बीजेपी भी पार्टी आलाकमान के निर्देश के बिना निमंत्रंण स्वीकार नहीं करेगी।
हाल के दिनों में बिहार में हिंसा और अपहरण की घटनायें काफी बढ़ी है। जिसकी वजह से मुख्यमंत्री नीतीश नाराज़ हैं। लेकिन गठबंधन की मजबूरी की वजह से वो खुलकर बोल नहीं पा रहे।
राजनीति में कब, कौन किसके साथ चला जाएगा, यह कह पाना मुश्किल है। लेकिन हाल में जिस तरह से बिहार की राजनीति में बदलाव दिख रहा है उससे कई सारे कयास लगने शुरु हो गए हैं। तो क्या ये माना लिया जाए कि नीतीश एक बार फिर से पुराने गठबंधन की तरफ बढ़ रहे हैं?
Source : News Nation Bureau