बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election 2020) प्रचार के अंतिम दिन सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बड़ा दांव चला. उन्होंने इस चुनाव को अपने जीवन का अंतिम चुनाव करार दिया. उन्होंने कहा कि आज जान लीजिए चुनाव का आखिरी दिन है और परसों चुनाव है यह मेरा अंतिम चुनाव है, अंत भला तो सब भला. बिहार की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले नीतीश के इस बयान का कई मतलब निकाले गए. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक नीतीश के बयान को अंतिम चरण की वोटिंग से जोड़कर देख रहे हैं.
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जेडीयू के पास सबसे अधिक सीटें
अंतिम चरण में जिन 78 सीटों पर वोटिंग होनी है वहां अभी सबसे ज्यादा जेडीयू का कब्जा है. 2015 में महागठबंधन में रहते हुए जेडीयू ने यहां से 23 सीटें जीती थी, जबकि आरजेडी को 20, कांग्रेस को 11 और बीजेपी को 20 सीटें मिली थीं. ऐसे में नीतीश का 'संन्यास' दांव को वोटिंग से जोड़कर देखा जा रहा है. 78 सीटों पर अति पिछड़ा, मुसलमान और यादवों की संख्या अधिक है. अति पिछड़ा नीतीश के परंपरागत वोटर रहे हैं और नीतीश ने उन्हें अपने बयान से साधने की कोशिश की है.
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दांव से पलटेंगे नाराज वोटर?
दरअसल, सरकार विरोधी लहर के कारण इस बार नीतीश कुमार के खिलाफ लोगों की नाराजगी काफी देखने को मिली है. ऐसे में नीतीश ने मतदाताओं पर इमोशनल दांव चला है. देखना दिलचस्प होगा कि वोटरों पर सीएम की अपील का कितना असर होता है. अंतिम दौर की कई सभाओं में नीतीश ने वोटरों को उनके किए गए कामों को भी गिनाया. नीतीश को करीब से जानने वाले बता रहे हैं कि नीतीश के इस दांव का असर तीसरे और अंतिम चरण की वोटिंग में देखना को मिलेगा.
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'संन्यास' पर विपक्षी लामबंद
नीतीश के बयान के बाद विपक्षी दलों ने उनपर जमकर निशाना साधा. कांग्रेस ने कहा कि उन्हें तो पहले ही रिटायर हो जाना चाहिए. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा ने भी नीतीश को राजनीति छोड़ आराम करने की सलाह दे दी. तेजस्वी यादव ने भी सीएम पर हमला करते हुए कहा, 'हम लंबे सय से कह रहे हैं कि नीतीश कुमार पुराने पड़ गए हैं वे बिहार को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं. उनके बयान से यह पता चल रहा है कि वह जमीनी हकीकत को समझ गए हैं.'
Source : News Nation Bureau