Nitish Kumar: बिहार की राजनीति में आखिरकार बड़ा उल्टफेर हो चुका है. सीएम नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया है. वे एक बार फिर भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल हो चुके हैं. बीते एक दशक में यह चौथा मौका होगा, जब नीतीश कुमार ने इस तरह से अपना पाला बदल लिया है. इस बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वे एनडीए में शामिल हो चुके हैं. आपको बता दें कि नीतीश कुमार जब-जब लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ रहे हैं, तब-तब उन्हें फायदा हुआ है. आइए समझे कैसे.
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2019 का लोकसभा चुनाव
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार एनडीए के साथ भाजपा, जदयू के अलावा लोक जनशक्ति पार्टी भी शामिल थी. उस दौरान राज्य की 40 लोकसभा पर भाजपा और जदयू दोनों ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा. वहीं लोजपा के खाते में 6 सीटें आईं. इस गठबंधन ने 40 में से 39 सीटें पर जीत दर्ज की. इस दौरान करीब 54.34% वोट शेयर हासिल हुआ. लोकसभा चुनाव में भाजपा और लोजपा ने अपने-अपने खाते की सीटों पर जीत हासिल की. एक सीट पर जडीयू को हार का सामना करना पड़ा.
वहीं दूसरी ओर 2019 का लोकसभा चुनाव राजद की अगुवाई वाले विपक्षी गठबंधन के लिए काफी बुरा साबित हुआ. इस गठबंधन में राजद के साथ कांग्रेस समेत तीन अन्य दल भी शामिल हुए थे. उसके खाते में 31.23 प्रतिशत वोट शेयर आए, इसके बाद भी महज एक सीट आई. सबसे बुरा हाल लालू प्रसाद यादव की पार्टी का हुआ. उसे 15.68 फ़ीसदी वोट शेयर प्राप्त हुआ. इसके बावजूद वह एक सीट हासिल नहीं कर पाई.
2014 के लोकसभा चुनाव पर नजर डालें
2014 के लोकसभा चुनाव पर अगर नजर डाली जाए तो तब मोदी लहर में जदयू (JDU) अकेले चुनावी मैदान में उतरी थी. उसने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसमें सिर्फ दो सीटें उसने अपने नाम पर की थी. उसका वोट शेयर 16.04 फ़ीसदी था. 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार एनडीए में बीजेपी (BJP) और एलजेपी (LJP) के साथ एक और क्षेत्रीय पार्टी भी शामिल हुई थी. इसने कुल 31 सीटों को अपने नाम किया था. यहां पर 39.41% वोट शेयर हासिल किया था. आपको बता दें कि एनडीए (NDA) का कुल वोट शेयर जदयू से दोगुना था. वहीं दूसरी ओर 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार (Bihar) में राजद, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन ने सात सीटों पर जीत दर्ज की थी.
2009 का लोकसभा चुनाव
अब हम बात करते हैं 2009 के लोकसभा चुनाव के बारे में. इस चुनाव में जेडीयू, बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन में शामिल थी. तब इस गठबंधन ने 32 सीट जीती थीं. वहीं वोट शेयर की बात की जाए तो यह 37.97 फीसदी था. जदयू 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी. वह 20 सीटें जीतने में सफल रही. वहीं भाजपा (BJP)के खाते में 12 सीटें थीं.
2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई थी, मगर बिहार में उसका प्रदर्शन बहुत खराब था. जिन 37 सीटों पर चुनाव लड़ा गया था, उसमें से सिर्फ वह दो पर जीत पाई थी. उसका वोट शेयर 10.26 प्रतिशत था. उस वक्त राजद और लोजपा के गठबंधन ने चार सीटों पर विजय प्राप्त की थी.
इंटरनल सर्वे में क्या निकला?
2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के पीछे एक इंटरनल सर्वे सामने आया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा चुनाव से पहले लोगों का मूड भांपने को लेकर पार्टी ने एक आतंरिक सर्वे भी कराया. इसके नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं थे. इस सर्वे के बाद जदयू सांसदों के एक ग्रुप ने पार्टी पर दोबारा एनडीए से गठबंधन का दबाव बना रहे थे.
Source : News Nation Bureau