बिहार की नई नीतीश सरकार में मंत्री विनोद कुमार सिंह ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया। उन्होंने बीजेपी के एक समारोह में उनके साथ 'भारत माता की जय' का नारा न लगाने वाले मीडियाकर्मियों को 'पाकिस्तान का समर्थक' करार दे दिया।
इससे पहले इसी समारोह में बीजेपी की बिहार इकाई के अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि मस्जिदों से अजान और चर्च से घंटियों की आवाज के बजाय 'भारत माता की जय' की आवाज आनी चाहिए।
राय हालांकि अपनी बात पर ज्यादा देर अडिग न रह सके। बाद में उन्होंने यू-टर्न ले लिया और कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा था।
नीतीश कुमार सरकार में खदान एवं भूगर्भीय मामलों के मंत्री व बीजेपी नेता विनोद कुमार सिंह ने राज्य की नई सरकार में शामिल बीजेपी के 12 मंत्रियों के सम्मान में हुए संकल्प सम्मेलन में लोगों से कहा कि वे उनके साथ 'भारत माता की जय' का नारा लगाएं।
और पढ़ें: मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, वंदे मातरम नहीं गाने वाला देशद्रोही नहीं, यह पसंद की बात है
लेकिन, जब कार्यक्रम में मौजूद मीडियाकर्मियों ने यह नारा नहीं लगाया तो सिंह ने इस पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, 'आप पहले भारत माता की संतान हैं, पत्रकार बाद में हैं। अगर आप मेरे साथ जोर से भारत माता की जय का नारा नहीं लगाते तो क्या आप पाकिस्तान माता के समर्थक हैं?'
एक-दो को छोड़कर किसी भी पत्रकार ने मंत्री की इस बात पर ऐतराज नहीं जताया।
#WATCH Bihar Min Vinod Singh questions those who didn't raise hands on Bharat Mata Ki Jai, asks, "vo log Pakistan Mata ke to nahi hain?" pic.twitter.com/4IO8u9F1AW
— ANI (@ANI) August 8, 2017
इससे पहले, समारोह शुरू होने पर सांसद और बिहार बीजेपी के अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि मस्जिद और चर्च से अजान और घंटी के बजाय 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम्' की आवाज आनी चाहिए।
यह अहसास होने पर कि उन्होंने एक विवादित बयान दे दिया है, राय ने बात बदलते हुए मीडिया से कहा, 'मैंने कहा था कि मस्जिद और चर्च से भारत माता की जय और वंदे मातरम् की आवाज आनी चाहिए। मेरा मतलब यह नहीं था कि यह अजान और घंटी की जगह पर आनी चाहिए।'
विपक्षी राजद ने सिंह और राय के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन्होंने अपने 'वास्तविक एजेंडे' को दिखा दिया है। जबकि जनता दल (युनाइटेड) प्रवक्ता ने कहा कि यह अभिव्यक्ति की निजी आजादी है और उन्हें इस पर कुछ नहीं कहना है। याद रहे, नीतीश कुमार चार साल पहले अपनी पार्टी का बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद पाकिस्तान गए थे, ताकि लोग उन्हें धर्मनिरपेक्ष नेता मानें।
और पढ़ें: वाघेला के बागी होने से लेकर अहमद पटेल की जीत तक की कहानी, 10 प्वाइंट में समझें
Source : News Nation Bureau