जिस तरह कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, उसी तरह कोरोना को मात देने वाली दवाइयों और ऑक्सीजन से जुड़े उपकरणों की कालाबाजारी भी बढ़ गई है. कोरोना की दूसरी लहर के बीच दवाओं और ऑक्सीजन से जुड़े उपकरणों की भारी मांग बढ़ी तो कालाबाजारी भी तेज हो गई. यहां तक की कोरोना महामारी को कमाई के अवसर के रूप में प्रयोग करने वाले कालाबाजारी के लिए ट्रेनों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. बिहार के कटिहार में बीती रात जिला प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 226 ऑक्सीजन सिलेंडर जब्त किए गए. बताया गया कि इन सिलेंडरों को एलटीटी एक्सप्रेस ट्रेन से उतारकर गाड़ियों में लोड किया जा रहा था, इसी दौरान छापेमारी की गई. हालांकि छापेमारी से पहले वहां मौजूद सभी लोग भाग गए.
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फिलहाल इस बात की पड़ताल की जा रही है कि इतनी बड़ी संख्या में सिलेंडर ट्रेन से यहां कैसे पहुंचा. सभी सिलेंडर 6 किलो वाले बताए गए हैं. डीएसपी और एसडीएम ने कहा कि प्रारंभिक जांच में लगता है कि मामला कालाबाजारी से जुड़ा हुआ है, शायद कोई व्यापारी द्वारा इन सिलेंडरों को लाया गया था. जिसके पास वैधानिक कागज नहीं रहने के कारण वह फरार हो गए. फिलहाल पूरे मामले की जांच की जा रही है. सबसे बड़ा सवाल है कि ट्रेन में इतनी संख्या में सिलेंडर लोड था और कोई कार्रवाई नहीं होना कहीं न कहीं रेलकर्मियों की मिलीभगत की ओर इशारा कर रहा है.
हालांकि सिर्फ कटिहार से कालाबाजारी की घटना सामने आई, बल्कि प्रदेशभर में इस तरह का खेल चल रहा है. तीन दिन पहले भागलपुर पुलिस ने एक निजी अस्पताल के एक प्रबंधक सहित दो लोगों को एक मृत मरीज के नाम पर रेमेडिसविर इंजेक्शन खरीदने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया. आरोपियों की पहचान पल्स अस्पताल के मैनेजर राहुल राज और पिंटू ठाकुर के रूप में हुई। छापे के दौरान आलम नामक एक अन्य आरोपी भागने में सफल रहा.
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एक अन्य घटना में, शुक्रवार को पटना पुलिस ने एक डॉक्टर सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया था. आरोपियों की पहचान डॉ असफाक अहमद और उनके बहनोई मोहम्मद अल्ताफ के रूप में हुई. पटना (मध्य) के डीएसपी भास्कर रंजन ने गांधी मैदान थाने के अंतर्गत एसपी वर्मा रोड स्थित इंद्रधनुष अस्पताल में छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उनके कब्जे से दो रेमेडिसविर इंजेक्शन बरामद किए.