लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में सीबीआई द्वारा तेजस्वी यादव को एक बार नहीं, दो बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार समन भेजा लेकिन तेजस्वी यादव सीबीआई के समक्ष पेश नहीं हुए.अब तेजस्वी यादव ने सीबीआई द्वारा खुद को भेजे गए समन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल की गई याचिका में तेजस्वी यादव ने अपराध कारित होने के समय खुद के नाबालिग होने की दलील दी है. तेजस्वी यादव ने हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल याचिका में कथन किया है कि जिस समय का मामला सीबीआई द्वारा बताया जा रहा है उस समय वो नाबालिग थे लिहाजा क्या हुआ और क्या नहीं हुआ, उसके बारे में तेजस्वी यादव से पूछताछ करने अथवा उन्हें आरोपी बनाने का कोई विशेष आधार नहीं बनता. इतना ही नहीं तेजस्वी यादव द्वारा यह भी कथन किया गया है कि उन्हें राजनीतिक दुर्भावना के तहत सीबीआई का दुरुपयोग करते हुए मामले में आरोपी बनाने का प्रयास किया जा रहा है. सीबीआई द्वारा उनसे पूछताछ करने का कोई औचित्य ही नहीं बनता.
तेजस्वी के दावों में कितना दम?
अब बात आती है कि तेजस्वी यादव ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष जो दलीलें और खासकर स्कैम के समय अपने नाबालिग होने का जो कथन किया है वो उनको निश्चित तौर पर फायदा पहुंचाएगा. विधिक जानकारों की मानें तो तेजस्वी यादव को इस बात का पूरा फायदा मिलेगा कि स्कैम के समय वो नाबालिग थे लिहाजा उन्हें मामले में आरोपी ना बनाया जाए. क्योंकि, आईपीसी या सीआर.पी.सी. में वर्णित धाराओं और भारतीय संविधान के मुताबिक भी किसी अति गंभीर मामलों, आपराधिक मामलों में अगर आरोपी नाबालिग है और सीधे तौर पर वह अपराध कारित करने में इन्वाल्व है तभी उसे आरोपी बनाया जाएगा और उसके दोषी साबित होने पर उसे मात्र 3 वर्ष की ही सजा मिलेगी.
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अब बात करते हैं तेजस्वी यादव की अगर तेजस्वी का दावा सही है कि वो स्कैम के समय नाबालिग थे तो इसमें तेजस्वी यादव की गलती दूर-दूर तक केंद्रीय एजेंसियां नहीं पा सकती. हालांकि, ये संभव है कि सीबीआई अथवा ईडी द्वारा तेजस्वी यादव को भी लैंड फॉर जॉब मामले में आरोपी बनाया जा सकता है और संभवत: सीबीआई द्वारा तेजस्वी यादव को समन भेजकर कुछ ऐसा ही प्रयास किया जा रहा है लेकिन सीबीआई अगर तेजस्वी यादव को आरोपी बना भी देती है तो भी तेजस्वी यादव को कुछ खास परेशानी नहीं हो सकती.
तेजस्वी यादव के पास विकल्प
अगर तेजस्वी यादव को सीबीआई लैंड फॉर जॉब स्कैम में किसी भी तरह से आरोपी बनाकर आरोप पत्र दाखिल कर देती है तो तेजस्वी यादव आरोप पत्र को क्वैश कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट जा सकते हैं. विधिक जानकारों के मुताबिक, तेजस्वी यादव के खिलाफ दाखिल किए गए आरोप पत्र को दिल्ली हाईकोर्ट बेहद ही आसानी के साथ और बिना समय गंवाए खारिज कर सकता है क्योंकि किसी नाबालिग के खिलाफ और खासकर जिसमें वह सीधे तौर पर शामिल ना हो ऐसे अपराधों के मामले में दायर की गई चार्जशीट शून्य माना जाता है. क्योंकि ऐसे मामलों में नाबालिग को यही नहीं पता होता है कि उसके नाम पर कोई अपराध कर रहा है यानि कि वह मामले से अनभिज्ञ रहता है.
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तेजस्वी नाबालिग!
दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में तेजस्वी यादव ने खुद को स्कैम के समय नाबालिग बताया है. तेजस्वी यादव की जन्मतिथि 09 नवंबर 1989 है और स्कैम 2004 से 2009 के बीच हुआ था. ऐसे में 2004 में तेजस्वी की उम्र महज 15 वर्ष थी और 2009 में 20 वर्ष थी. ऐसे में अगर स्कैम 2004 से 2007 के बीच हुआ होगा तो तेजस्वी यादव निश्चित तौर पर कम से कम लैंड फॉर जॉब मामले में आरोपी बनने से बच जाएंगे क्योंकि 09 नवंबर 2007 तक तेजस्वी यादव निश्चित तौर पर नाबालिग थे. ऐसे में यदि उनके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया जाता है तो तेजस्वी यादव या तो आगे चलकर आरोपमुक्त करार दिए जा सकते हैं या फिर हाईकोर्ट द्वारा तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई द्वारा दाखिए किए गए आरोपपत्र को क्वैश किया जा सकता है. विधिक जानकारों के मुताबिक, तेजस्वी यादव को स्कैम के समय उनके नाबालिग होने का फायदा जरूर मिलेगा.
लालू, मीसा, राबड़ी देवी को मिल चुकी है जमानत
वहीं, राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा तेजस्वी यादव, उनके पिता लालू यादव, मां राबड़ी देवी, बहन मीसा भारती समेत सभी 16 आरोपियों को समन भेजा था और 15 मार्च 2023 को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था. 15 मार्च 2023 को लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए थे, जहां उन्होंने जमानत के लिए अर्जी दी और कोर्ट ने 50-50 हजार के निजी मुचलके पर तीनों आरोपियों को जमानत दे दी थी. लेकिन तेजस्वी यादव कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुए थे और अब उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. तेजस्वी यादव की याचिका पर आज सुनवाई होगी और मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश शर्मा की बेंच करेगी. बता दें कि तेजस्वी यादव को सीबीआई द्वारा 4 मार्च और 11 मार्च और 14 मार्च 2023 को समन जारी कर पूछताछ के लिए पेश होने के निर्देश दिए गए थे लेकिन तेजस्वी यादव पेश नहीं हुए.अभ सीबीआई समन के खिलाफ तेजस्वी यादव ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
क्या है IRCTC घोटाला?
लालू यादव पर IRCTC घोटाले का आरोप
लालू के रेलमंत्री रहने के दौरान घोटाला
लालू पर रेलमंत्री रहते पद का दुरुपयोग का आरोप
SHPL को दो होटल लीज पर देने का आरोप
विनय कोचर और विजय कोचर थे SHPL के मालिक
IRCTC के रांची-पुरी में लीज पर दिये थे दो होटल
बदले में लालू परिवार को मिली पटना में 3 एकड़ जमीन
होटल देने के एवज में कथित तौर पर मिली कीमती जमीन
डिलाइट कंपनी को SHPL से मिली कथित तौर पर जमीन
राबड़ी-तेजस्वी की लारा प्रोजेक्ट कंपनी ने डिलाइट कंपनी से ली जमीन
बेहद कम कीमत पर डिलाइट कंपनी से लारा प्रोजेक्ट ने खरीदी जमीन
आरजेडी नेता प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के नाम पर डिलाइट कंपनी
2006 के घोटाले में CBI ने राबड़ी-तेजस्वी से कई बार की पूछताछ
CBI ने 2017 में लालू,राबड़ी, तेजस्वी समेत 16 पर मामला दर्ज
सीबीआई ने 2017 में सभी के खिलाफ किया मुकदमा दर्ज
2018 में सभी को मिल गई कोर्ट से जमानत
CBI के बाद ED ने भी मामले में चार्जशीट दाखिल की
इन 16 लोगों को भेजा गया समन
IRCTC घोटाले मामले में सीबीआई ने लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, राज कुमार सिंह, मिथलेश कुमार, अजय कुमार, संजय कुमार, धर्मेंद्र कुमार, विजय कुमार, अभिषेक कुमार, रविंद्र राय, किरण देवी, अखिलेश्वर सिंह, रामाशीष सिंह, कमल दीप मनरई (तत्कालीन सीपीओ सेंट्रल रेलवे) और सौम्या राघवन (तत्कालीन जीएम सेंट्रल रेलवे) के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.
क्या है आरोप?
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में 2004 से 2009 के दौरान बिहार के विभिन्न निवासियों को ग्रुप-डी पदों के विकल्प के रूप में नियुक्त किया गया था. उपर्युक्त आरोप के मद्देनजर, व्यक्तियों ने स्वयं या उनके परिवारों ने तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों और कंपनी एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर अपनी जमीन हस्तांतरित कर दी, जिसे बाद में उनके परिवार के सदस्यों ने ले लिया.
यह आरोप लगाया गया है कि सीबीआई ने जोनल रेलवे में एवजी की नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया था. यह कहा गया है कि जांच से पता चला था कि उम्मीदवारों को उनकी नियुक्ति के लिए किसी विकल्प की आवश्यकता के बिना विचार किया गया था और उनकी नियुक्ति के लिए कोई अत्यावश्यकता नहीं थी जो स्थानापन्नों की नियुक्ति के पीछे मुख्य मानदंडों में से एक था और वे अपनी नियुक्ति की मंजूरी के बहुत बाद में अपने कर्तव्यों में शामिल हुए और बाद में उन्हें नियमित कर दिया गया.
HIGHLIGHTS
- दिल्ली हाईकोर्ट में तेजस्वी यादव ने दाखिल कर रखी है याचिका
- याचिका पर आज हाईकोर्ट करेगा सुनवाई
- याचिका में तेजस्वी ने खुद को स्कैम के समय बताया है नाबालिग
Source : Shailendra Kumar Shukla