रोजगार के मुद्दे पर सुशील मोदी ने तेजस्वी को घेरा, पूछा-'क्या हुआ 10 लाख नौकरियों का?'
सुशील मोदी ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से सवाल पूछा है कि कैबिनेट की पहली बैठक में 10 लाख सरकारी नौकरी का क्या हुआ? शिक्षकों के लिए ‘समान काम, समान वेतन’ नीति कब लागू करेंगे?
रोजगार के मुद्दे पर बिहार की गठबंधन सरकार के प्रति बीजेपी सरकार गठन के बाद से ही हमलावर है. एक तरफ बीजेपी ये चेतावनी दे रही है कि अगर शिक्षक अभ्यर्थियों की बहाली नहीं होती तो विधानसभा का आगामी सत्र नहीं चलने देंगे. अब बीजेपी के राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने महागठबंधन सरकार पर रोजगार के मुद्दे पर तंज कसा है. सुशील मोदी ने खासकर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से रोजगार के मुद्दे पर उनके वादे को लेकर सवाल पूछा है. एक के बाद एक श्रृंखलाबद्ध किए ट्वीट्स में सुशील मोदी ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से सवाल पूछा है कि कैबिनेट की पहली बैठक में 10 लाख सरकारी नौकरी का क्या हुआ? शिक्षकों के लिए ‘समान काम, समान वेतन’ नीति कब लागू करेंगे?
सुशील मोदी इतने पर ही नहीं रुके. अन्य ट्वीट्स में उन्होंने लिखा, 'राजद की घोषणा थी कि पहली ही कैबिनेट की बैठक में हस्ताक्षर कर रिक्त पड़े 4.50 लाख पद भरने के साथ 5.50 लाख स्थाई पदों का सृजन कर कुल 10 लाख स्थायी नौकरियां दी जाएगी. कैबिनेट की 15 बैठकें हो चुकी परंतु अभी तक 10 लाख नौकरियों का ठिकाना नहीं है. महागठबंधन जो नियुक्ति पत्र बांट रहा है वह तो भाजपा के समय निकले विज्ञापन द्वारा नियुक्त लोगों को ही बुलाकर दोबारा नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है.'
सुशील मोदी ने आगे ट्वीट किया, 'तेजस्वी यादव बताएं उनके समय के नियुक्त एक भी नौजवान को अब तक नौकरी क्यों नहीं दी गई? 10 लाख नौकरी के जुमले का क्या हुआ? संविदा प्रथा को समाप्त कर नियोजित शिक्षकों को स्थायी कर ‘समान काम, समान वेतन’ की नीति पर अमल करने की चुनावी घोषणा का क्या हुआ?
वहीं, पीएम मोदी का जिक्र करते हुए सुशील मोदी ने ट्वीट किया, 'देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक साल में 10 लाख सरकारी नौकरी के वायदे के अनुरूप रोजगार मेला लगाकर नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं, परंतु राजद ने तो कैबिनेट की पहली बैठक में ही 10 लाख सरकारी नौकरी का वायदा किया था उसका क्या हुआ?'