बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का महागठबंधन पर जोर, मगर रास्ते अलग

बिहार में विधानसभा का चुनाव अभी भले ही दूर है, लेकिन राजनीतिक दलों के बीच दमखम दिखाने की होड़-सी लग गई है.

author-image
Dalchand Kumar
New Update
बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का महागठबंधन पर जोर, मगर रास्ते अलग

बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का महागठबंधन पर जोर, मगर रास्ते अलग( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

बिहार में विधानसभा का चुनाव अभी भले ही दूर है, लेकिन राजनीतिक दलों के बीच दमखम दिखाने की होड़-सी लग गई है. झारखंड में बेहतर तालमेल के जरिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सत्ता से बेदखल करने के बाद विपक्षी दल उत्साहित हैं. बिहार के विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों का महागठबंधन तय माना जा रहा है, यहां सभी दल एक रणनीति के तहत महागठबंधन पर जोर दे रहे हैं. मगर अभी इस पर बहुत कुछ कहना जल्दबाजी है. क्योंकि बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी दल बार-बार एक मंच पर उतरने की कोशिश तो करते हैं, मगर जब महागठबंधन के प्रमुख चेहरे की बात आती है तो सभी अलग-अलग रास्ते पर चल पड़ते हैं.

यह भी पढ़ेंः बिहार से पहले दिल्ली के 'दंगल' में दमखम दिखाएंगे सूबे के राजनीतिक दल

इसमें सबसे पहले नाम राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का आता है, जो इस वक्त बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी. इसी वजह वो खुद को महागठबंधन का प्रमुख मानती है. तभी तो महागठबंधन में शामिल आरजेडी ने अपना अलग रास्ता अपनाया है और तेजस्वी यादव को इस साल होने वाले विधानसभा के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भी आगामी चुनाव के लिए सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को महागठबंधन का समन्वयक घोषित कर दिया. जिसके बाद महागठबंधन में मतभेद खुलकर सामने आ गया है. 

आरजेडी के यह फैसले महागठबंधन के अन्य दलों को मंजूर नहीं है. चाहे वो राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा हों, हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी हों, वीआईपी पार्टी हो या कांग्रेस हो. सभी दलों ने आरजेडी के फैसले पर आपत्ति जताई है. क्योंकि महागठबंधन में इसे लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. मांझी ने आरजेडी नेता तेजस्वी को महागठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार मानने से इनकार कर दिया. हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा ने सवाल उठाया कि समन्वय समिति का अध्‍यक्ष कौन होगा, यह आरजेडी के प्रदेश अध्‍यक्ष कैसे तय कर सकते हैं? उपेंद्र कुशवाहा भी कहते हैं कि इसको लेकर आपसी विमर्श से कोई फैसला किया जाना चाहिए. जबकि कांग्रेस का कहना है कि अभी गठबंधन के सभी नीतिगत मामलों में फैसला होना बाकी है. 

यह भी पढ़ेंः गैर बीजेपी दलों को एक मंच पर लाने में जुटे शरद यादव, नीतीश पर बोला हमला

महागठबंधन में शामिल अधिकतर दल समन्वयक समिति बनाने की मांग कर रहे हैं. इस बीच हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा के मुखिया जीतन राम मांझी ने भी अलग राह पकड़ ली है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी के लिए बिहार की 85 विधानसभा सीटों पर दावा ठोक दिया है. मांझी कहते हैं कि 85 सीटों पर हमारी पार्टी मजबूती से चुनाव लड़ सकती है, जिसमें हम खुद जीत भी सकते हैं. उनका यह भी कहना है कि यदि वहां कोई उम्मीदवार होंगे तो हम उन्हें जिताने की स्थिति में हैं.

उल्लेखनीय है कि बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं, जिन पर साल के अंत तक चुनाव होना है. महागठबंधन में तकरार शुरू हो गई है तो बिहार का सियासी पारा भी चढ़ गया है. महागठबंधन में इस 'फूट' पर बिहार एनडीए की बांछें खिल गई हैं. ज्ञात हो कि 2015 महागठबंधन के साथ आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू ने मिलकर बिहार में विधानसभा का चुनाव लड़ा था. इस बार चुनाव में जेडीयू के बीजेपी के साथ रहने की संभावना है.

Source : dalchand

Bihar BJP RJD HAM Party Maha Gathbandhan
Advertisment
Advertisment
Advertisment