राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री, पशुपति कुमार पारस, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग होने की तैयारी कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, पशुपति पारस इस महीने के अंत तक अपने निर्णय का औपचारिक ऐलान कर सकते हैं. पशुपति पारस की नाराजगी की मुख्य वजह उनके भतीजे चिराग पासवान से जारी सियासी विवाद है. पिछले कुछ समय में चिराग पासवान ने बिहार और दिल्ली की राजनीति में अपनी धाक जमाई है, जिससे पारस के लिए स्थिति कठिन हो गई है.
एनडीए में घटती भूमिका
हाल ही में पटना में एनडीए की एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को निमंत्रण नहीं दिया गया. यह पारस के लिए बड़ा झटका था. इस बैठक की अध्यक्षता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की, लेकिन पारस को नजरअंदाज कर दिया गया. यही नहीं, अब उन्हें सरकारी बंगले से भी बेदखल किया जा रहा है. उनके आवास से सामान हटाने का काम भी शुरू हो चुका है, जो इस बात का संकेत है कि पारस एनडीए से अलग होने का मन बना चुके हैं.
पारस का एनडीए से अलग रास्ता
पारस के करीबी सूत्रों के मुताबिक, रालोजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी उन्हें सलाह दी है कि एनडीए से अलग होकर आगे बढ़ना सबसे सही विकल्प होगा. अगर एनडीए के साथ बने रहते हैं, तो पार्टी की स्थिति लोकसभा चुनाव जैसी हो सकती है, जिसमें उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. इसी कारण अब पार्टी और पारस को अपनी रणनीति बदलने की जरूरत महसूस हो रही है. रालोजपा के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के आवास पर हुई कोर कमेटी की बैठक में भी इस पर सहमति बनी थी कि पारस को एनडीए से अलग होकर नया रास्ता अपनाना चाहिए.
बड़ा फैसला इस माह
पारस के राजनीतिक सलाहकारों का मानना है कि एनडीए में रहते हुए पार्टी की स्थिति और खराब हो सकती है. इसलिए वे जल्द ही एनडीए से अलग होने की घोषणा करेंगे. इस महीने के अंत तक उनका यह निर्णय सामने आ सकता है, जिससे बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है. आखिरकार, पशुपति कुमार पारस को अब इस बात का अहसास हो गया है कि अगर उन्हें अपने राजनीतिक करियर को बचाना है, तो उन्हें एनडीए से अलहदा होकर अपनी नई राह पर कदम बढ़ाना होगा.