पटना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एडीजे अविनाश कुमार मारपीट मामले पर सुनवाई करते हुए बिहार पुलिस को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि पुलिस उच्चतम न्यायालय के फैसलों का सम्मान नहीं कर रही है और न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ उनका रवैया खतरनाक है. बिहार के डीजीपी एस.के. सिंघल की उपस्थिति में न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति मोहित शाह की खंडपीठ ने ये बात कही. पूरी घटना 18 नवंबर, 2021 की है जब मधुबनी के झंझारपुर कोर्ट में एडीजे के एक थाने के दरोगा ने हमला कर दिया था .
उस समय तत्कालीन घोघरदेह एसएचओ गोपाल कृष्ण और सब-इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने मिलकर उनके चेंबर पर हमला कर दिया और पिस्तौल तानकर गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी. इसके बाद एडीजे अविनाश कुमार ने दोनों आरोपी पुलिसवालों के खिलाफ झंझारपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई. जिसके बाद मामला तूल पकड़ता गया और हाईकोर्ट को मामले में दखल देना पड़ा. बीते बुधवार को कोर्ट को यह जानकारी मिली की एडीजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
इस पर सफाई देते हुए पुलिस की ओर से सरकारी वकील मृगांग मौली ने कोर्ट में कहा कि इस साल जून में तत्कालीन एसएचओ और एसआई का बयान लिया गया. जिसके बाद एडीजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. ये सुनकर चीफ जस्टिस संजय करोल हैरान रह गए और उन्होंने कहा कि किस कानून के तहत एडीजे पर एफआईआर दर्ज की गई.
कोर्ट ने ये भी कहा कि "राज्य पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का उल्लंघन किया है जिसमें साफ- साफ कहा गया था कि किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ प्राथमिकी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश के बाद ही दर्ज की जाएगी. चूंकि मैंने एडीजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं दी तो बिहार पुलिस उसके खिलाफ प्राथमिकी कैसे दर्ज कर सकती है". इसके बाद उन्होंने गुरुवार को डीजीपी को तलब किया था.
इस पर महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत से कहा कि पुलिस ने एडीजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर गलती की है. हालांकि पुलिस इसे अपने आप वापस नहीं ले सकती, इसलिए उसने रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और प्राथमिकी को रद्द करने के लिए संबंधित अदालत में एक आवेदन दायर किया है. इसके बाद जल्द ही एफआईआर रद्द कर दी जाएगी. आश्वासन के बाद, पीठ ने पुलिस को अगली सुनवाई तक इसे सुधारने का निर्देश दिया.
Source : News Nation Bureau