पटना हाई कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन मिलने वाली सरकारी बंगला की सुविधा को असंवैधानिक बताते हुए इस सुविधा को समाप्त कर दिया है. हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है.
पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ए पी शाही की खंडपीठ ने मंगलवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन आवास की मिलने वाली सुविधा न केवल असंवैधानिक बल्कि सरकारी धन का दुरुपयोग है.
हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास छोड़ने पड़ सकते हैं. उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, लालू प्रसाद, जीतन राम मांझी, जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह के नाम पर इसी सुविधा के तहत अभी सरकारी बंगला आवंटित है.
गौरतलब है कि 7 जनवरी को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सरकारी बंगले को लेकर हुए विवाद की सुनवाई के दौरान पटना उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सवाल पूछा, 'आखिर बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री किस कानून के तहत आजीवन आवास की सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं?'
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इस मामले की सुनवाई 11 फरवरी को पूरी कर ली गई थी परंतु फैसले को सुरक्षित रख लिया था. तेजस्वी यादव ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया था जो उन्हें उप-मुख्यमंत्री रहने के दौरान आवंटित किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने तेजस्वी पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
Source : IANS