आए दिन पटना हाईकोर्ट बिहार पुलिस को लचर कानून व्यवस्था और फर्जी तरीके से लोगों को फंसाने के लिए पटकार लगाती रहती है लेकिन इस बार तो हद ही हो गई. दरअसल, एक शख्स को 30 साल तक जेल में बिना किसी ठोस व बड़ी वजह के जेल में रहना पड़ा. मामले की सुनवाई जब पटना हाईकोर्ट में हुई तो न्यायाधीश ने पुलिस को जमकर फटकार लगाई. इतना ही नहीं सरकारी वकील को भी जेलों में विजिट करके लोगों की पीड़ा समझने की नसीहत दी. न्यायधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा कि कहीं पर भी मानवाधिकार नहीं है, ये सिर्फ कहने की बातें हैं और मानवाधिकार दबे कुचलों, कमजोरों के लिए नहीं बल्कि अमीरों के लिए है.
न्यायाधीश ने सरकार और पुलिस को जमकर फटकार लगाई और कहा कि ये सब कानून तोड़ा जा रहा है. न्यायाधीश ने कहा कि 30 साल की सजा काटकर जब कोई शख्स लौटेगा तो उसे सोसाइटी में जगह मिलनी मुश्किल हो जाएगी. न्यायाधीश ने सरकारी वकील से ये भी कहा कि वो अपने ऑफिसर को बोलें कि खुद को वो कानून से ऊपर ना समझें. दरअसल, एक शख्स को 21/12/2000 को सजा मिली थी वो भी गलती स्वीकार करने पर लेकिन 24 साल से शख्स जेल में बंद है लेकिन उसकी रिहाई नहीं की गई. शख्स पर किसी की हत्या का आरोप था. सरकार द्वारा शख्स की रिहाई नहीं की गई. न्यायाधीश ने सरकार से पूछा कि ये बताया जाए इस शख्स की रिहाई किस आधार पर रोकी गई? दरअसल, टुल्ली सिंह उर्फ आशुतोष सिंह सिंह नाम के शख्स ने 28 साल से अधिक समय जेल में बिताए जाने के आधार पर अपनी रिहाई की अपील की थी लेकिन एसएसपी मुजफ्फरपुर पुलिस अधीक्षक की लापरवाही के कारण उसकी रिहाई नहीं हो सकी. मामला हाईकोर्ट में गया और एसएसपी मुजफ्फरपुर को न्यायाधीश ने जमकर फटकार लगाई गई.
न्यायाधीश ने कहा कि एसएसपी मुजफ्फरपुर बिल्कुल डाक विभाग की तरह काम कर रहे हैं. सिर्फ एक-दूसरे को मार्क कर रहे हैं और टॉप ऑफिसर भी उसे मार्क कर रहे हैं. कोई भी कुछ पढ़ना नहीं चाहता. अगर पढ़ते तो इस तरह की गलती नहीं होती. न्यायाधीश ने सरकारी वकील से जानना चाहा कि 302 के दोषी को कब सरकार मानवता के आधार पर या कैदी के अच्छे आचरण के आधार पर रिहा नहीं कर सकती? सरकारी वकील ने बताया कि ऐसे कैदी को नहीं रिहा किया जा सकता जब कैदी ने अपनी गलती, जघन्य रेप, जघन्य मर्डर का दोष स्वीकार कर चुका हो, किसी सरकारी ऑफिसर की हत्या में दोष स्वीकार कर चुका हो, संगठित तरीके से पैसों के लिए ह्त्या का दोषी ठहराया गया हो, प्रोफेशनल किलर जिसने किसी के कहने से किसी की हत्या की हो, स्मंगलिंग के दौरान किसी की हत्या करने का जो शख्स दोषी हो.
न्यायाधीश ने सरकारी वकील के चारों कारणों को बताए जाने के बाद कहा कि क्या हत्या का दोषी टुल्ली सिंह उर्फ आशुतोष सिंह आपके द्वारा बताए गए चारों कारणों के अधीन आता है? जवाब में सरकारी वकील ने कहा-नहीं हुजूर! न्यायाधीश ने कहा कि उक्त चारों कारणों को रिहाई ना करने के लिए मान्य माना गया है जब उक्त चारों कारण दोषी पर अप्लाई नहीं हो रहे हैं तो उसकी रिहाई के निवेदन को क्यों और किस आधार पर रिजेक्ट किया गया? न्यायाधीश ने कहा कि बोर्ड के द्वारा भी सिर्फ रिहाई इसी लिए नहीं की गई क्योंकि उन्होंने सिर्फ एसएसपी मुजफ्फरपुर की टिप्पणी को पढ़ा और कलम चला दिया. अगर कुछ और पढ़ लेते तो शायद ये नौबत नहीं आती और जो शख्स 28 साल से जेल में बंद है वह आज रिहा हो गया होता.
न्यायाधीश ने कहा कि एसएसपी मुजफ्फरपुर का कहना है कि 10 मुकदमें अभी दोषी पर पेंडिंग हैं और दोषी रिहा होने के बाद अपराध कर सकता है? इस तरह की रिपोर्ट एसएसपी कैसे दे सकते हैं? न्यायाधीश ने सरकारी वकील से कहा कि आपने कभी भी जेलों का विजिट नहीं किया है. हम जेलों में जाते हैं, हम उनकी पीड़ा को समझते हैं. आप लोग किसी को भी क्रिमिनल बना देते हैं. न्यायधीश ने कहा कि मानवाधिकार सिर्फ ऊंचे और मजबूत लोगों के लिए है. दबे कुचलों के लिए लागू नहीं होता. जाइए कभी घूमकर देखकर आइए और मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा. न्यायाधीश ने कहा कि जेलों के अंदर सिर्फ एक वार्ड नाबालिगों के लिए बनाया गया है जबकि नाबालिगों के लिए अलग से जेल होने चाहिए. ये कानून का खुलेआम उल्लंघन है.
न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि जो शख्स 24-28 साल जेल में रह चुका है उससे आप ये आशंका जता रहे हैं कि समाज को खतरा है, वो अपराध कर सकता है? जब वो शख्स रिहा होगा तो उसे समाज में बैठने की जगह भी नहीं मिलेगी. न्यायधीश ने सरकारी वकील को किताब 'When Prisoners Come Home: Parole and Prisoner Reentry' भी पढ़ने की सलाह दी.
HIGHLIGHTS
- पटना हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
- सिर्फ अमीरों के लिए है मानवाधिकार
Source : News State Bihar Jharkhand
पटना हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी-'सिर्फ अमीरों के लिए है मानवाधिकार, दबे कुचलों के लिए नहीं'
न्यायधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा कि कहीं पर भी मानवाधिकार नहीं है, ये सिर्फ कहने की बातें हैं और मानवाधिकार दबे कुचलों, कमजोरों के लिए नहीं बल्कि अमीरों के लिए है.
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आए दिन पटना हाईकोर्ट बिहार पुलिस को लचर कानून व्यवस्था और फर्जी तरीके से लोगों को फंसाने के लिए पटकार लगाती रहती है लेकिन इस बार तो हद ही हो गई. दरअसल, एक शख्स को 30 साल तक जेल में बिना किसी ठोस व बड़ी वजह के जेल में रहना पड़ा. मामले की सुनवाई जब पटना हाईकोर्ट में हुई तो न्यायाधीश ने पुलिस को जमकर फटकार लगाई. इतना ही नहीं सरकारी वकील को भी जेलों में विजिट करके लोगों की पीड़ा समझने की नसीहत दी. न्यायधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा कि कहीं पर भी मानवाधिकार नहीं है, ये सिर्फ कहने की बातें हैं और मानवाधिकार दबे कुचलों, कमजोरों के लिए नहीं बल्कि अमीरों के लिए है.
न्यायाधीश ने सरकार और पुलिस को जमकर फटकार लगाई और कहा कि ये सब कानून तोड़ा जा रहा है. न्यायाधीश ने कहा कि 30 साल की सजा काटकर जब कोई शख्स लौटेगा तो उसे सोसाइटी में जगह मिलनी मुश्किल हो जाएगी. न्यायाधीश ने सरकारी वकील से ये भी कहा कि वो अपने ऑफिसर को बोलें कि खुद को वो कानून से ऊपर ना समझें. दरअसल, एक शख्स को 21/12/2000 को सजा मिली थी वो भी गलती स्वीकार करने पर लेकिन 24 साल से शख्स जेल में बंद है लेकिन उसकी रिहाई नहीं की गई. शख्स पर किसी की हत्या का आरोप था. सरकार द्वारा शख्स की रिहाई नहीं की गई. न्यायाधीश ने सरकार से पूछा कि ये बताया जाए इस शख्स की रिहाई किस आधार पर रोकी गई? दरअसल, टुल्ली सिंह उर्फ आशुतोष सिंह सिंह नाम के शख्स ने 28 साल से अधिक समय जेल में बिताए जाने के आधार पर अपनी रिहाई की अपील की थी लेकिन एसएसपी मुजफ्फरपुर पुलिस अधीक्षक की लापरवाही के कारण उसकी रिहाई नहीं हो सकी. मामला हाईकोर्ट में गया और एसएसपी मुजफ्फरपुर को न्यायाधीश ने जमकर फटकार लगाई गई.
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न्यायाधीश ने कहा कि एसएसपी मुजफ्फरपुर बिल्कुल डाक विभाग की तरह काम कर रहे हैं. सिर्फ एक-दूसरे को मार्क कर रहे हैं और टॉप ऑफिसर भी उसे मार्क कर रहे हैं. कोई भी कुछ पढ़ना नहीं चाहता. अगर पढ़ते तो इस तरह की गलती नहीं होती. न्यायाधीश ने सरकारी वकील से जानना चाहा कि 302 के दोषी को कब सरकार मानवता के आधार पर या कैदी के अच्छे आचरण के आधार पर रिहा नहीं कर सकती? सरकारी वकील ने बताया कि ऐसे कैदी को नहीं रिहा किया जा सकता जब कैदी ने अपनी गलती, जघन्य रेप, जघन्य मर्डर का दोष स्वीकार कर चुका हो, किसी सरकारी ऑफिसर की हत्या में दोष स्वीकार कर चुका हो, संगठित तरीके से पैसों के लिए ह्त्या का दोषी ठहराया गया हो, प्रोफेशनल किलर जिसने किसी के कहने से किसी की हत्या की हो, स्मंगलिंग के दौरान किसी की हत्या करने का जो शख्स दोषी हो.
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न्यायाधीश ने सरकारी वकील के चारों कारणों को बताए जाने के बाद कहा कि क्या हत्या का दोषी टुल्ली सिंह उर्फ आशुतोष सिंह आपके द्वारा बताए गए चारों कारणों के अधीन आता है? जवाब में सरकारी वकील ने कहा-नहीं हुजूर! न्यायाधीश ने कहा कि उक्त चारों कारणों को रिहाई ना करने के लिए मान्य माना गया है जब उक्त चारों कारण दोषी पर अप्लाई नहीं हो रहे हैं तो उसकी रिहाई के निवेदन को क्यों और किस आधार पर रिजेक्ट किया गया? न्यायाधीश ने कहा कि बोर्ड के द्वारा भी सिर्फ रिहाई इसी लिए नहीं की गई क्योंकि उन्होंने सिर्फ एसएसपी मुजफ्फरपुर की टिप्पणी को पढ़ा और कलम चला दिया. अगर कुछ और पढ़ लेते तो शायद ये नौबत नहीं आती और जो शख्स 28 साल से जेल में बंद है वह आज रिहा हो गया होता.
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न्यायाधीश ने कहा कि एसएसपी मुजफ्फरपुर का कहना है कि 10 मुकदमें अभी दोषी पर पेंडिंग हैं और दोषी रिहा होने के बाद अपराध कर सकता है? इस तरह की रिपोर्ट एसएसपी कैसे दे सकते हैं? न्यायाधीश ने सरकारी वकील से कहा कि आपने कभी भी जेलों का विजिट नहीं किया है. हम जेलों में जाते हैं, हम उनकी पीड़ा को समझते हैं. आप लोग किसी को भी क्रिमिनल बना देते हैं. न्यायधीश ने कहा कि मानवाधिकार सिर्फ ऊंचे और मजबूत लोगों के लिए है. दबे कुचलों के लिए लागू नहीं होता. जाइए कभी घूमकर देखकर आइए और मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा. न्यायाधीश ने कहा कि जेलों के अंदर सिर्फ एक वार्ड नाबालिगों के लिए बनाया गया है जबकि नाबालिगों के लिए अलग से जेल होने चाहिए. ये कानून का खुलेआम उल्लंघन है.
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न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि जो शख्स 24-28 साल जेल में रह चुका है उससे आप ये आशंका जता रहे हैं कि समाज को खतरा है, वो अपराध कर सकता है? जब वो शख्स रिहा होगा तो उसे समाज में बैठने की जगह भी नहीं मिलेगी. न्यायधीश ने सरकारी वकील को किताब 'When Prisoners Come Home: Parole and Prisoner Reentry' भी पढ़ने की सलाह दी.
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Source : News State Bihar Jharkhand