एक तरफ वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर राजनीतिक स्टंटबाजी चल रही है और राज्य सरकार पर इस बिल को रोकने के लिए दबाव दिया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ पटना के फतुहा इलाके में वक्फ बोर्ड ने जमीन के बड़े हिस्से पर पर अपना दावा कर दिया है. साथ ही इस वहां रहनेवाले लोगों को एक महीने में जगह खाली करने के लिए कहा है. वक्फ बोर्ड के इस दावे का विरोध भी शुरू हो गया है. यहां रहनेवाले लोगों का कहना है कि यह जमीन हमलोगों की है और वक्फ बोर्ड का दावा पूरी तरह से गलत और बेबुनियाद है.
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वक्फ बोर्ड द्वारा जिस जमीन पर दावा किया गया है. वह फतुहा के गोविंदपुर गांव का है. बताया गया कि यहां लगभग 21 डिसमिल जमीन है. इस जमीन पर फिलहाल सात मकान बने हैं. जनवरी 2023 में वक्फ बोर्ड ने अचानक यह दावा कर दिया कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है. वक्फ बोर्ड का दावा था कि यह जमीन 1959 से उनके पास है. इसलिए यह जगह उन्हें खाली करनी होगी. जबकि दूसरी तरफ इस जमीन पर रहनेवाले लोगों ने वक्फ बोर्ड के दावे को पूरी तरह से झूठला दिया है. उनका कहना था. यह जमीन 1909 से ही उनके परिवार के नाम पर है. इसलिए वक्फ बोर्ड का दावा कहीं से भी सही नहीं है. यहां तक कि इसी साल हाईकोर्ट ने जमीन के विवाद में फैसला हम लोगों के पक्ष में दिया है. इसके बाद भी वक्फ बोर्ड अपना दावा कर रहा है.
लोगों ने बताया कि वक्फ बोर्ड भले ही दावा करती है कि यह जमीन उनकी है. लेकिन आज तक उन्होंने यह नहीं बताया कि यह जमीन उन्हें कैसे मिली. किसने उन्हें यह जमीन दिया. जाहिर है कि उनके पास कोई प्रमाण नहीं था. सिर्फ जमीन पर दावा किया जा रहा है.