Advertisment

गणतंत्र दिवस की गरिमा को चोट पहुंचाने पर तुले लोग असली किसान नहीं, बोले सुशील मोदी

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के मसले पर गतिरोध जारी है. किसान और सरकार अपनी अपनी जिद पर अड़े हैं. 8 दौर की बातचीत हो चुकी है और नतीजा शून्य के बराबर रहा है.

author-image
Dalchand Kumar
New Update
Sushil Modi advised Nitish

सुशील कुमार मोदी( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के मसले पर गतिरोध जारी है. किसान और सरकार अपनी अपनी जिद पर अड़े हैं. 8 दौर की बातचीत हो चुकी है और नतीजा शून्य के बराबर रहा है. सुप्रीम कोर्ट कानूनों के अमल पर फिलहाल के लिए रोक लगा चुका है, मगर सीधे तौर पर सरकार के खिलाफ किसानों का आंदोलन छिड़ा है. इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान फिर सरकार के खिलाफ ट्रैक्टर मार्च निकालने जा रहे हैं, जिसे राजपथ पर निकालने की कोशिश की जाएगी. हालांकि कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगाए जाने के बाद भी जारी किसान आंदोलन को लेकर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने निशाना साधा है.

यह भी पढ़ें: LIVE: कृषि कानूनों के विरोध में आज कांग्रेस करेगी राजभवनों का घेराव

बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जो लोग संसद, सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय पर्व की गरिमा को ठेस पहुंचाने पर तुले हैं, वे असली किसान नहीं हो सकते. बीजेपी नेता ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, 'तीनों नए कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगा कर सर्वोच्च न्यायालय ने आंदोलनकारी किसानों का भरोसा जीतने की अब तक की सबसे बड़ी कोशिश की, लेकिन अराजकता-प्रेमी विपक्ष और किसान नेताओं ने अदालत की पहल से बनी विशेषज्ञ समिति को मानने से इनकार कर गतिरोध के तिल को पहाड़ बना दिया.'

उन्होंने आगे लिखा, 'वे ट्रैक्टर रैली निकाल कर राजधानी में गणतंत्र दिवस की परेड में भी विघ्न डालना चाहते हैं, जबकि यह परेड कभी भाजपा या किसी सत्तारूढ़ दल का कार्यक्रम नहीं रही.' उन्होंने कहा, 'जो लोग संसद, सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय पर्व की गरिमा को ठेस पहुंचाने पर तुले हैं, वे असली किसान नहीं हो सकते.' उल्लेखनीय है कि सुशील मोदी का यह बयान इसलिए अहम हो जाता है कि किसान आंदोलन के दौरान कई देशविरोधी ताकतें भी दिखाई पड़ी हैं. यहां तक की खालिस्तानी भी सक्रिय दिखाई दिए.

यह भी पढ़ें: कानून निरस्त करने की मांग पर अड़े किसानों से सरकार की दोपहर को वार्ता आज

इतना ही नहीं, केंद्र ने दिल्ली पुलिस के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर-ट्रॉली/वाहन मार्च या किसी भी रूप में प्रदर्शन पर निषेधाज्ञा लगाने की मांग की गई थी. केंद्र ने कहा था कि विभिन्न स्रोतों के माध्यम से सुरक्षा एजेंसियों के संज्ञान में यह आया है कि विरोध करने वाले व्यक्तियों/ संगठनों के छोटे समूह ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर-ट्रॉली/वाहन मार्च निकालने की योजना बनाई है. केंद्र ने कहा था, 'समारोह में कोई व्यवधान या किसी तरह की बाधा न केवल कानून और व्यवस्था, सार्वजनिक हित के खिलाफ होगा, बल्कि राष्ट्र के लिए एक 'बड़ी शर्मिदगी' भी होगी.'

यहां यह भी बात समझनी जरूरी है कि किसानों के आंदोलन को विपक्षी दल लगातार समर्थन कर रहे हैं और खासकर कांग्रेस पार्टी इस आंदोलन को लेकर सबसे ज्यादा सक्रिय रही है. यह भी मालूम हो कि इस आंदोलन की शुरुआत पंजाब से हुई थी, जहां कांग्रेस की सरकार है. राहुल गांधी ने कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में ट्रैक्टर मार्च निकाला था. जिसके कुछ बाद यह किसानों के आंदोलन के रूप में निकलकर आगे आया. बहरहाल, किसानों का आंदोलन राजनीतिक रंग में अनौपचारिक रूप से रंगा है, जिसका नतीजा यह है कि किसान सरकार की बात सुनने को राजी नहीं हैं. 

Source : News Nation Bureau

farmers-protest kisan-andolan Sushil Kumar Modi सुशील कुमार मोदी किसान आंदोलन
Advertisment
Advertisment