राजस्थान सरकार और बिहार सरकार छात्रों के किराए को लेकर आमने-सामने आ गई है. बुधवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने राजस्थान सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राजस्थान की सरकार ने जो कोटा में फंसे 18000 बिहारी छात्रों के ट्रेन का किराया देने से हाथ खड़ा कर दिया तब बिहार ने करीब एक करोड़ का भुगतान कर 16 विशेष ट्रेन के जरिए सभी को वापस लाया गया. उन्होंने कहा कि इन छात्रों को वापस लाने के लिए कांग्रेस और राजद के लोगों ने 3000 बसें और 500 3 दिन का होता वादा किया मगर जब छात्रों को लाने की बारी आई तो भी लापता हो गए.
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सुशील मोदी ने कहा कि अगर राजद कांग्रेस के लोगों में नैतिकता बची हो तो उन्हें छात्रों को लाने से बच गई राशि को मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करा देना चाहिए. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 1200 विशेष श्रमिक ट्रेन की जरिए अब तक 15 लाख से ज्यादा प्रवासी बिहार आ चुके हैं. राजस्थान के कोटा से आने वाली ट्रेन के अलावा किसी भी अन्य दूसरे राज्यों से आने वाली ट्रेन के लिए बिहार सरकार को किराया जमा नहीं करना पड़ा है. अभी जहां से ट्रेन खुलती है, किराए की व्यवस्था करना उस राज्य की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का निर्णय है कि जिन श्रमिकों को किराया देना पड़ा है, क्वॉरेंटाइन के बाद उन्हें उसका भुगतान किया जाएगा.
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उन्होंने कहा कि 12 किलोमीटर दूर कोटा में फंसे 18000 छात्रों को लाने के लिए करें 750 बसों की जरूरत पड़ती और उन्हें कम से कम 4 दिन की परेशानी भरा सफर करना पड़ता. मगर राज्य सरकार की पहल पर केंद्र से मिली विशेष ट्रेन के जरिए महज सत्र 18 घंटे में सकुशल अपने घर आए छात्रों व उनके अभिभावकों की खुशी राजद और कांग्रेस को देखी नहीं जा रही है. सुशील मोदी ने कहा कि कोटा के छात्रों को झांसा देने वाली कांग्रेस अपने नेता राहुल गांधी को खुश करने के लिए उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों को केरल भेजने के लिए तीन बसों का किराया चुकाती है. बिहारियों की सहायता के लिए फर्जी टोल फ्री नंबर जारी करने वाली कांग्रेस को बताना चाहिए, अब तक उसने कितने बिहारियों को लाने का खर्च उठाया है.
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