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रेलवे फाटक बंद करने की सूचना पर लोगों ने किया विरोध, मौके पर पहुंचे प्रशासनिक पदाधिकारी

कैमूर जिले के दुर्गावती प्रखंड के करणपुरा रेलवे गुमटी के पास सैकड़ों की संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे रेलवे फाटक पहुंच, इसे बंद करने को लेकर विरोध करते नजर आए.

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Vineeta Kumari
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रेलवे फाटक बंद करने की सूचना पर लोगों ने किया विरोध ( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

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कैमूर जिले के दुर्गावती प्रखंड के करणपुरा रेलवे गुमटी के पास सैकड़ों की संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे रेलवे फाटक पहुंच, इसे बंद करने को लेकर विरोध करते नजर आए. प्रशासन रेलवे फाटक बंद कराने के लिए जेसीबी लेकर रेलवे गए थे, जहां ग्रामीणों के विरोध करने की सूचना पर मौके पर एसडीएम, डीएसपी, थानाध्यक्ष और अंचलाधिकारी पहुंचे. ग्रामीणों का कहना था कि जहां भी रेलवे फाटक पहले से मौजूद था, वहां पर रेलवे द्वारा रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कराया गया लेकिन करणपुरा रेलवे गुमटी पर बिना ओवरब्रिज बनाए ही जिला प्रशासन रेलवे फाटक बंद करा रहा है. जिससे आसपास के ग्रामीणों को और बच्चों को परेशानी होगी, जो इस रेलवे गुमटी को पार कर स्कूल कॉलेज और अपने दैनिक कार्य के लिए आते जाते हैं.

अगर यह गुमटी बंद कर दिया जाता है तो ग्रामीणों को 8 किलोमीटर घूम कर दूसरी तरफ से रास्ता तय करना पड़ेगा, जिससे स्कूली छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी होगी. मौके पर पहुंचे प्रशासनिक पदाधिकारी मीडिया के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया. ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि रेलवे विभाग द्वारा जहां भी समपार फाटक है, उसके जगह पर रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण या फिर अंडरपास का निर्माण कराया जा रहा है. जब वह अंडरपास और ओवरब्रिज चालू हो रहा है तो फिर रेलवे फाटक को बंद किया जा रहा है लेकिन यहां पर ना तो अंडरपास बनाया जा रहा था और ना ही ओवर ब्रिज बनाया जा रहा था.

जिसको लेकर हम ग्रामीणों द्वारा कैमूर जिला अधिकारी से भी मुलाकात की, जहां उनके द्वारा आश्वासन दिया गया कि यहां पर ओवर ब्रिज बनेगा. उसके बाद ही फाटक बंद किया जाएगा. उनके आश्वासन पर हम लोग रुके रह गये लेकिन ना तो ओवर ब्रिज बना और ना ही अंडरपास का निर्माण हुआ. अब जेसीबी लेकर पुलिस प्रशासन गुमटी को बंद कराने के लिए आ रही है. अगर रेलवे गुमटी बंद हो जाएगा तो हम सभी को खासा परेशानी होगी. खेती का कार्य हो या फिर बच्चों के पढ़ाई का कार्य, दोनों के लिए घूम कर 8 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ेगा, नहीं तो इस रास्ते से महज आधे किलोमीटर की दूरी में लोग और बच्चे विद्यालय चले जाते थे.

Source : News Nation Bureau

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